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Description

कहीं कभी | भुवनेश्वर 

कहीं कभी सितारे अपने आपकी

आवाज पा लेते हैं और

आसपास उन्हें गुजरते छू लेते हैं…

कहीं कभी रात घुल जाती है

और मेरे जिगर के लाल-लाल

गहरे रंग को छू लेते हैं,

हालाँकि यह सब फालतू लगता है

यह भागदौड़ और यह सब

सब कुछ रूखा-सूखा है

लेकिन एक बच्चे की किलकारी की तरह

यह सब मधुर है

लेकिन कहीं कभी एक शांत स्मृति में

हम अपने सपनों का

इंतजार कर रहे हैं