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कैसा संत हमारा | साग़र निज़ामी

कैसा संत हमारा

गांधी

कैसा संत हमारा

दुनिया गो थी दुश्मन उसकी दुश्मन था जग सारा 

आख़िर में जब देखा साधो वह जीता जग हारा 

कैसा संत हमारा

गांधी

कैसा संत हमारा!

सच्चाई के नूर से उस के मन में था उजियारा 

बातिन में शक्ती ही शक्ती ज़ाहर में बेचारा 

कैसा संत हमारा

गांधी

कैसा संत हमारा!

बूढ़ा था या नए जनम में बंसी का मतवारा 

मोहन नाम सही था पर साधो रूप वही था सारा 

कैसा संत हमारा

गांधी

कैसा संत हमारा!

भारत के आकाश पे वो है एक चमकता तारा 

सचमुच ज्ञानी, सचमुच मोहन सचमुच प्यारा-प्यारा 

कैसा संत हमारा

गांधी

कैसा संत हमारा!