कल्पना - हेमंत देवलेकर
उसने काग़ज़ पर
एक चौकुट्टा सा
गोला बनाया
और मन में कहा
‘चिड़िया’।
फिर उसने उस गोले में
कहीं एक बिंदी मांड दी
‘आसमान’।
सच,
चिड़िया की आँखों में
आसमान
बिंदु भर ही तो होगा