Listen

Description

 लड़की | प्रतिभा सक्सेना

आती है एक लड़की,

मगन-मुस्कराती,

खिलखिलाकर हँसती है,

सब चौंक उठते हैं -

क्यों हँसी लड़की ?

उसे क्या पता आगे का हाल,

प्रसन्न भावनाओं में डूबी,

कितनी जल्दी बड़ी हो जाती है,

सारे संबंध मन से निभाती !

कोई नहीं जानता,

जानना चाहता भी नहीं

क्या चाहती है लड़की

मन की बात बोल दे

तो बदनाम हो जाती है लड़की

और एक दिन

एक घर से दूसरे घर,

अनजान लोगों में

चुपचाप चली जाती है 

नाम-धाम, पहचान सब यहीं छोड़,

एकदम गुमनाम हो जाती है लड़की

निभाती है जीवन भर

कभी इस घर, कभी उस घर 

देह में नई देह रचती

विदेह होती लड़की

सब-कुछ सौंप सबको

नये रूप, नये नाम सिरज,

अरूप अनाम हो,

झुर्रियोंदार काया ओढ़

हवाओं में विलीन हो जाती

कोई नही जानता,

यही थी

वह हँसती-खिलखिलाती,

नादान सी लड़की!