लकड़हारे की पीठ | अनुज लुगुन
जलती हुई लकड़ियों का
गट्ठर है मेरी पीठ पर
और तुम
मुझे बाँहों में भरना चाहती हो
मैं कहता हूँ—
तुम भी झुलस जाओगी
मेरी देह के साथ।