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माँ का करघा | डॉ सूर्यबाला 

हीरे की कनियों से, मोती की लड़ियों से,

चाँदी के तारों, बूटे, लाड़ दुलारों के,

ख़ुशबू के धागों से, आँसू की धारों से

इतने सपने, और सब सपने,

इतने-इतने सारे सपने

मेरी अम्माँ ने बुने

झलमली आखों के हथकरघे पे