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Description

मनुष्य - विमल चंद्र पाण्डेय 

मुझे किसी की मृत्यु की कामना से बचना है
चाहे वो कोई भी हो

चाहे मैं कितने भी क्रोध में होऊँ
और समय कितना भी बुरा हो
सामने वाला
मेरा कॉलर पकड़ कर गालियाँ देता हुआ
क्यों न कर रहा हो मेरी मृत्यु का एलान
मुझे उसकी मृत्यु की कामना से
बचना है

यह समय मौतों के लिए मुफ़ीद है
मनुष्यों की अकाल मौत का कोलाज़ रचता हुआ
फिर भी
मैं मरते हुए भी अपनी मनुष्यता
बचाए रखना चाहूँगा

ये मेरा जवाब होगा कि मैं बचाए जाने लायक़ था
कि हम बचाए जाने लायक़ थे!