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Description

मुहाना | डॉ दामोदर खड़से 

मैं चाहता हूँ

ज्वालामुखी के मुहाने पर 

बैठकर लिखूं कविता...

पर सोचता हूँ

जो लिखता है कविता

क्या नहीं होता वह

ज्वालामुखी के मुहाने पर