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पास आओ मेरे | नरेंद्र कुमार 

पास आओ मेरे

मुझे समझाओ ज़रा

ये जो रोम-रोम में तुम्हारे नफ़रत रमी है

तुममें ऐसी क्या कमी है 

खुद से पूछो ज़रा 

खुद को बताओ ज़रा 

व्हाट्सएप की जानकारी

टीवी की डिबेट सारी

साइड में रखो इसे

इंसानियत की बात करें 

इसमें ऐसा क्या डर है

मरहम होती है क्या

ज़ख्म से पूछो ज़रा

मेरा एक काम कर दो

मुझे कहीं से ढूँढ कर वो प्रार्थना दो

जिसमें हिंसा, द्वेष, और कलेश हो