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Description

पास | अशोक वाजपेयी 

पत्थर के पास था वृक्ष

वृक्ष के पास थी झाड़ी

झाड़ी के पास थी घास

घास के पास थी धरती

धरती के पास थी ऊँची चट्टान

चट्टान के पास था क़िले का बुर्ज

बुर्ज के पास था आकाश

आकाश के पास था शुन्य

शुन्य के पास था अनहद नाद

नाद के पास था शब्द

शब्द के पास था पत्थर

सब एक-दूसरे के पास थे

पर किसी के पास समय नहीं था।