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Description

पालकी - कुँवर नारायण 

काँधे धरी यह पालकी

है किस कन्हैयालाल की?

इस गाँव से उस गाँव तक

नंगे बदन, फेंटा कसे,

बारात किसकी ढो रहे?

किसकी कहारी में फँसे?

यह क़र्ज पुश्तैनी अभी किश्तें हज़ारों साल की।

काँधे धरी यह पालकी है किस कन्हैयालाल की?

इस पाँव से उस पाँव पर,

ये पाँव बेवाई फटे :

काँधे धरा किसका महल?

हम नींव पर किसकी डटे?

यह माल ढोते थक गई तक़दीर खच्चर-हाल की।

काँधे धरी यह पालकी है किस कन्हैयालाल की?

फिर, एक दिन आँधी चली

ऐसी कि परदा उड़ गया!

अंदर न दुलहन थी न दूल्हा

एक कौव्वा उड़ गया...

तब भेद जाकर यह खुला—हमसे किसी ने चाल की।

काँधे धरी यह पालकी ला ला अशर्फ़ी लाल की!