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Description

पत्तियाँ यह चीड़ की | नरेश सक्सेना 

सींक जैसी सरल और साधारण पत्तियाँ

यदि न होतीं चीड़ की

तो चीड़ कभी इतने सुंदर नहीं होते

नीम या पीपल जैसी आकर्षक

होतीं यदि पत्तियाँ चीड़ की

तो चीड़

आकाश में तने हुए भालों से उर्जस्वित

और तपस्वियों से स्थितिप्रज्ञ न होते

सूखी और झड़ी हुई पत्तियाँ चीड़ की

शीशम या महुए की पत्तियों सी

पैरों तले दबने पर

चुर्र-मुर्र नहीं होतीं

बल्कि पैरों तले दबने पर

आपको पटकनी दे सकती हैं

खून बहा सकती हैं

प्राण तक ले सकती हैं

पहाड़ी ढलानों पर

साधारण, सरल और सुंदर यह पत्तियाँ चीड़ की