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Description

पीठ की खुजली - राजेश जोशी

 

अभी-अभी लौटा हूँ सारे काम-धाम निपटाकर 

रात का खाना खाकर 

अभी-अभी कपडे बदलकर घुसा हूँ 

होटल के बिस्तर में 

और रह-रहकर पीठ में खुजली हो रही है 

रह-रहकर आ रही है इस समय 

तुम्हारी याद 

काम आ सकती थी जनेऊ इस समय 

पर उसे तो बहुत पहले ही छोड़ आया 

पैतृक घर की खूँटी पर 

कोई बैलगाड़ी भी नहीं यहाँ कि जिसके पहिए से 

टिक कर खुजला हूँ अपनी पीठ 

जहाँ तक जा सकता है ले जाता हूँ 

खींचकर पीठ पर अपना हाथ 

लेकिन यह नामुराद खुजली हर बार 

और आगे खिसक जाती है मेरे हाथ की पहुँच से 

मेरे हाथ की हद के आगे से शुरू होती है 

तुम्हारी हथेली की याद 

याद ने भी क्या कारण खोजा है आने के लिए 

घर से इतनी दूर इस गुलाबी शहर में!