Listen

Description

प्रार्थना। अन्तोन्यो रिनाल्दी

अनुवाद : धर्मवीर भारती

सई साँझ

आँखें पलकों में सो जाती हैं

अबाबीलें घोसलों में

और ढलते दिन में से आती हुई

एक आवाज़ बतलाती है मुझे

अँधेरे में भी एक संपूर्ण दृष्टि है

मैं भी थक कर पड़ रहा हूँ

जैसे उदास घास की गोद में

फूल

धूप के साथ सोने के लिए

हवा हमारी रखवाली करे—

हमें जीत ले यह आस्मान की

निचाट ज़िंदगी जो हर दर्द को धारण करती है