प्रेम में मैं और तुम | अंशू कुमार
एक दिन तुम और मैं
जब अपनी अपनी धुरी पर
लौट रहे होंगे
ख़ाली हाथ, बेआवाज़ और बदहवास
अपने-अपने हिस्से के सुख और दुःख लिए
अब कब मिलेंगे, मिलेंगे भी या नहीं
जैसे ख़ौफ़नाक सवाल लिए
अनंत ख़ालीपन के साथ
तब सबसे अंत में
हमारे हिस्से का प्रेम ही बचेगा
जो अगर बचा सकता तो बचा लेगा हमें
एक बार फिर से मिलने की उम्मीद में...!