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Description

प्रेत लोक में/ मक्सिम तान्क

अनुवाद: रमेश कौशिक

एक बार मैं

प्रेत-लोक में गया

दांते के संग

उसके अँधियारे घेरों में

घूम रहे थे हम

तभी कवि रुक गया

अचम्भे में आ

विश्वास नहीं था

जो कुछ उसने देखा

पहली बार

अँधेरे की वह दुनिया

दुःख से बोझिल

प्रेतों की दुनिया

जब देखी थी उसने

तब से अब तक

जाने कितने

और नए घेरे बन आए

जो प्राचीन काल में अनजाने थे।