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Description

पुकार | केदारनाथ अग्रवाल

ऐ इन्सानों!

आँधी के झूले पर झूलो

आग बबूला बन कर फूलो

कुरबानी करने को झूमो

लाल सवेरे का मूँह चूमो

ऐ इन्सानों ओस न चाटो

अपने हाथों पर्वत काटो

पथ की नदियाँ खींच निकालो

जीवन पीकर प्यास बुझालो

रोटी तुमको राम न देगा

वेद तुम्हारा काम न देगा

जो रोटी का युद्ध करेगा

वह रोटी को आप वरेगा!