Listen

Description

रात कटी गिन तारा तारा  - शिव कुमार बटालवी

अनुवाद: आकाश 'अर्श'

रात कटी गिन तारा तारा 

हुआ है दिल का दर्द सहारा 

रात फुंका मिरा सीना ऐसा 

पार अर्श के गया शरारा 

आँखें हो गईं आँसू आँसू 

दिल का शीशा पारा-पारा 

अब तो मेरे दो ही साथी 

इक आह और इक आँसू खारा 

मैं बुझते दीपक का धुआँ हूँ 

कैसे करूँ तिरा रौशन द्वारा 

मरना चाहा मौत न आई 

मौत भी मुझ को दे गई लारा 

छोड़ न मेरी नब्ज़ मसीहा 

बाद में ग़म का कौन सहारा