Listen

Description

साँप | फ़रहत एहसास

साँप लपेटे घूम रहा हूँ

दुनिया मुझ से ख़ौफ़-ज़दा है

सब मुझ को अच्छे लगते हैं

लेकिन यूँ है

जिस लड़की को चाहा मैं ने

जिस लड़के को दोस्त बनाया

जिस घर में माँ बाप बनाए

जिस मस्जिद में घुटने टेके

सब ने मेरा साँप ही देखा

मुझ को कोई देख न पाया

मैं सब को कैसे समझाऊँ

ये दुनिया का साँप नहीं है

मेरे साथ पला पोसा है

ये मेरा माँ जाया

बस मुझ को डसता है