Listen

Description

सम्बन्धों के ठंडे घर में | अमरनाथ श्रीवास्तव

सम्बन्धों के ठंडे घर में

वैसे तो सबकुछ है लेकिन

इतने नीचे तापमान पर

रक्तचाप बेहद खलता है|

दिनचर्या कोरी दिनचर्या

घटनायें कोरी घटनायें

पढ़ा हुआ अखबार उठाकर

हम कब तक बेबस दुहरायें

नाम मात्र को सुबह हुई है

कहने भर को दिन ढलता है|

सहित ताप अनुकूलित घर में

मौसम के प्रतिमान ढूंढते

आधी उमर गुजर जाती है

प्याले में तूफान ढूंढते

गर्म खून वाला तेवर भी

अब तो सिर्फ हाथ मलता है|

सजे हुए दस्तरख्वानों पर

मरी भूख के ताने -बाने

ठहरे हुए समय सी टेबुल

टिकी हुई बासी मुस्कानें

शिष्टाचार डरे नौकर सा

अक्सर दबे पांव चलता है|