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सीने में क्या है तुम्हारे / अक्षय उपाध्याय

कितने सूरज हैं तुम्हारे सीने में

कितनी नदियाँ हैं

कितने झरने हैं

कितने पहाड़ हैं तुम्हारी देह में

कितनी गुफ़ाएँ हैं

कितने वृक्ष हैं

कितने फल हैं तुम्हारी गोद में

कितने पत्ते हैं

कितने घोंसले हैं तुम्हारी आत्मा में

कितनी चिड़ियाँ हैं

कितने बच्चे हैं तुम्हारी कोख में

कितने सपने हैं

कितनी कथाएँ हैं तुम्हारे स्वप्नों में

कितने युद्ध हैं

कितने प्रेम हैं

केवल नहीं है तो वह मैं हूँ

अभी और कितना फैलना है मुझे

कितना और पकना है मुझे

कहो

मैं भी

तुम्हारी जड़ों के साथ उग सकूँ

कितने सूरज हैं तुम्हारे सीने में

कितने सूरज?