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Description

रमेशचंद्र शाह  - शब्द बताओ कहना क्या है
शब्द बताओ कहना क्या
शब्द बताओ गहना क्या है।
मेरा तुम्हें तुम्हारा मुझे उलेहना क्या है
शब्द बताओ कहना क्यों है
शब्द बताओ सहना क्यों है
तुमने हमको हमने तुमको पहना क्यों है?

कथा

खुला घर है
एक साँकल भर लगी है
लौट आएगी अभी माँ
वह गई है कथा सुनने
यहीं ठाकुरद्वार!
चल रही है कथा अब भी
ढल रही है कथा अब भी
फूल आते फूल जाते
बेल सा मुझ पर चढ़ा संसार
हाथ साँकल तक पहुँच कर रह गया ठिठका
किस कथा के बीच
किस कथा के व्योम में छिटका
फूल आते फूल जाते बेल सा मुझपर चढ़ा संसार
कहाँ किसकी कथा,
कैसी, कहाँ ठाकुरद्वार!

अकेला मेला
गोद लिए सन्नाटा, देहरी मोह अकेला मेला। 
गोद लिए सन्नाटा देहरी मोक अकेला मेला
धूप धूल तारों की
पता नहीं यह किसका घर है, 
किसका खंडहर
लहर ले रहा है समुद्र पत्थर का
बस इतना ही जुड़ा और इतना ही बिखरा
झूल रहा हूँ तार तार में आर पार अपने ही
चौतरफा बिखरे आलों से झाँक रहा है बचपन!