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Description

स्त्री को समझने के लिए - विश्वनाथ प्रसाद तिवारी 

कैसे उतरता है स्तनों में दूध 

कैसे झनकते हैं ममता के तार

कैसे मरती हैं कामनाएँ

कैसे झरती हैं दंतकथाएं

कैसे टूटता है गुड़ियों का घर

कैसे बसता है चूड़ियों का नगर

कैसे चमकते हैं परियों के सपने...

कैसे फड़कते हैं हिंस्र पशुओं के नथुने

कितना गाढ़ा लांछन का रंग

कितनी लम्बी चूल्हे की सुरंग 

कितना गाढ़ा सृजन का अंधकार

कितनी रहस्यमय मौन की पुकार

स्त्री, तुम्हे समझने के लिए

जन्म लेना पड़ेगा स्त्री-रूप में