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Description

सूअर के छौने । अनुपम सिंह 

बच्चे चुरा आए हैं अपना बस्ता

मन ही मन छुट्टी कर लिये हैं

आज नहीं जाएँगे स्कूल

 झूठ-मूठ  का बस्ता खोजते बच्चे 

 मन ही मन नवजात बछड़े-सा

कुलाँच रहे हैं

उनकी आँखों ने देख लिया है

आश्चर्य का नया लोक

बच्चे टकटकी लगाए

आँखों में भर रहे हैं

अबूझ सौन्दर्य

सूअरी ने जने हैं

गेहुँअन रंग के सात छौने

ये छौने उनकी कल्पना के

नए पैमाने हैं

सूर्य देवता का रथ खींचते

सात घोड़े हैं

आज दिन-भर सवार रहेंगे बच्चे

अपने इस रथ पर।