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Description

तलाश में वहाँ | नंदकिशोर आचार्य 

जाते हैं तलाश में

वहाँ

जड़ों की जो अक्सर

खुद जड़ हो जाते हैं

इतिहास मक़बरा है

पूजा जा सकता है जिसको

जिसमें पर जिया नहीं जाता

जीवन इतिहास बनाता हो

-चाहे जितना-

साँसें भविष्य की ही लेता है वह

रचना

भविष्य का ही

इतिहास बनाना है।