Listen

Description

तुमसे मिलकर | गौरव तिवारी 

नदी अकेली होती है,

पर उतनी नहीं

जितनी अकेली हो जाती है

सागर से मिलने के बाद।

धरा अत्यधिक अकेली होती है

क्षितिज पर,

क्योंकि वहाँ मान लिया जाता है

उसका मिलन नभ से।

भँवरा भी तब तक

नहीं होता तन्हा

जब तक आकर्षित नहीं होता

किसी फूल से।

गलत है यह धारणा कि

प्रेम कर देता है मनुष्य को पूरा 

मैं और भी अकेला हो गया हूँ,

तुमसे मिलकर।