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Description

या देवि! | वीरेन डंगवाल

माथे पर एक आँख लम्बवत

उसके भी ऊपर मुकुट

बहुत सारे हाथ

मगर दीखते दो ही :

एक में टपकता मुंड।

दुसरे में टपटपाता खड्ग।

शेर नीचे खड़ा है।

दांत दिखाता, मगर सीधा - सादा।

बगल में नदी बह रही लहरदार।

पहाड़ क्या हैं, रामलीला का पर्दा हैं।

माता, मैं उस चित्रकार को प्रणाम करता हूँ

जिस ने तेरी यह धजा बनाई।