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ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे | फ़राज़

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे

तू बहुत देर से मिला है मुझे

हमसफ़र चाहिये हुजूम नहीं

इक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल

हार जाने का हौसला है मुझे

लब कुशां हूं तो इस यकीन के साथ

कत्ल होने का हौसला है मुझे

दिल धड़कता नहीं सुलगता है

वो जो ख़्वाहिश थी, आबला है मुझे

कौन जाने कि चाहतों में फ़राज़

क्या गंवाया है क्या मिला है मुझे