Listen

Description

Storyline written by poet/writer Pratima Jaiswal and one small attempt to present with narration by Pankaj Kumar. We hope you all will like it. If yes? Please hit like button and subscribe for more videos/audios. जैसी कफ़ सीरप होती है न! वो खांसी की दवाई, बिल्कुल वैसी ही एक दोस्त थी. जिससे जितनी ज्यादा बनती थी उससे ज्यादा बिगड़ती भी थी. जैसे कफ़ सीरप पीने के बाद सभी बातें बिना रूके साफ-साफ निकलती है, वैसे ही उसके पास होने पर दिल की हर बात जुबान तक खुद आ जाती थी.कभी-कभी तो कुछ कहना भी नहीं पड़ता था. हर चुप्पी की वजह समझ जाती थी वो. जैसे कफ़ सीरप ज्यादा होने पर नशा चढ़ने लगता है, उसके साथ का नशा भी कुछ-कुछ वैसा ही था. कड़वी थी वो लेकिन मेरे मर्ज़ का काफी हद तक ईलाज था उसके पास. पर मुझे दवा से हमेशा से परहेज रहा है.आदत जो पड़ जाती है. बस… फिर क्या था! वक्त बीता.अब उसे मरीज पसंद नहीं है और मुझे दवा. लेकिन मर्ज़ अब भी वही पुराना है. बातें गले में अटकी ही रहती है अब. दोस्त थी वो बिल्कुल कफ़ सीरप जैसी. ~प्रतिमा~