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अमेरिका अपनी लाख चुनौतियों के बावजूद आज भी दुनिया में खेल के नियम तय करता है. पहले सोवियत यूनियन और अब चीन से उसे भले टक्कर मिल रही है लेकिन उसका प्रभुत्व कायम है. भारत के लिए इनमें से अपना साथी चुनना अहम इसलिए बन गया है क्योंकि उसे दुनिया में अपनी जगह कायम करनी है और पड़ोसी पाकिस्तान-चीन का सामना करना है. आज की बैठकी में नितिन ठाकुर के साथ अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मुक्तदर खान ने डिप्लोमेसी की पहेलियों को सुलझाने में मदद की. इतिहास नहीं बल्कि भविष्य पर भी बहुत कुछ कहा. इसमें चीन, पाकिस्तान, सोवियत यूनियन, टकराव, दोस्ती, मजबूरी, मरज़ी सब कुछ है.