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भारत का संविधान जितना बड़ा है उतनी ही दिलचस्प कहानी इसके बनने की है. यहां तक कि पहले संशोधन से जुड़े किस्से भी बेहद रोचक हैं. लोग हैरान होते हैं कि इतनी मेहनत के बाद बने संविधान में क्या ऐसा रह गया था कि संसद को 16 महीनों बाद उसमें संशोधन करना पड़ा. आरोप लगते हैं कि शायद नेहरू संविधान लागू होने के बाद फ्रीडम ऑफ स्पीच को सीमित करना चाहते थे, वहीं ये भी कहा जाता है कि आम लोगों को राहत देने की राह में सरकार ने संशोधन किए थे. इस बार के 'पढ़ाकू नितिन' में नितिन ठाकुर के साथ इतिहासकार त्रिपुरदमन सिंह ने भारतीय राजनीतिक इतिहास की इसी अहम घटना पर बात की है.

इस पॉडकास्ट में सुनिए:

- संविधान में पहला संशोधन क्यों ज़रूरी था?
- संशोधन पास कराने का चैलेंज बड़ा क्यों था?
- नेहरू फ्रीडम ऑफ स्पीच को सीमित करना चाहते थे?
- संविधान लागू होने के बाद सरकार को क्या परेशानियां हुईं?
- क्यों जेपी ने कहा कि संविधान रद्द करके नया बनना चाहिए?
- किस कानून के खिलाफ दक्षिणपंथी और वामपंथी खड़े हो गए?
- संशोधन पर पटेल, मुखर्जी, डॉ राजेंद्र प्रसाद, आंबेडकर का क्या कहना था?