सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स कभी फ्री स्पीच का नारा देकर आए थे, लेकिन लोगों को वो हक दे नहीं सके. ऊपर से उनके सिर पर कई तरह की तलवारें अलग लटकी हैं. अब तो कॉम्पीटिशन भी तेज़ है. तो इस बार पढ़ाकू नितिन की बैठकी में नितिन ठाकुर के साथ Koo के को-फाउंडर अप्रमेय राधाकृष्णा से बात हो रही है इन्हीं सवालों पर.