जब भी किसी अवैध या अनधिकृत निर्माण को प्रशासन की ओर से ढहाया जाता है तो सरकार इसके पक्ष में तर्क देती है और आम लोग भी इसे कानूनसम्मत कार्रवाई मानते हैं। सही है कि अतिक्रमण के तौर पर बने ढांचों को तोड़ने की कार्रवाई को कानून के तहत ही अंजाम दिया जाता है, मगर आमतौर पर यह सवाल बहस से बाहर रह जाता है कि आखिर कोई व्यक्ति नियम-कायदों को ताक पर रख कर कोई इमारत कैसे खड़ी कर लेता है या फिर गलत तरीके से किसी जमीन पर कोई निर्माण कैसे कर लेता है।