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Description

आम जनता ने होरी जैसे विवश-दबे राजकुमार को खारिज कर दिया और कला-साहित्य वालों ने राजकुमार के रूप में होरी को। मगर जेटली के महमूद बन सके सही गोबर- गुलजार के गुजराती मूल और नई पीढ़ी के अभिनेता बीरजी से तो बहुत-बहुत अच्छे।मगर त्रिलोकजी की इस फितरत से एक (आ)लोक मिलता है कि साहित्य-आधारित फिल्मों में हीरोपंथी नहीं चलेगी। शायद इस तथ्य को गुलजार ने समझा था या बजट की सीमा रही हो, पर उन्होंने सितारा (स्टार) लिया ही नहीं। सो, उनके सामने समस्या आई ही नहीं। पर सितारों को लेने वालों को उनका सितारापन छुड़ा कर अभिनेता बनाना पड़ेगा। इसकी बड़ी पक्की समझ सत्यजित राय को थी।