जीतने की चाह में तुमको
सभी को हार कर
सब कुछ तुम्ही पे वार कर
मन से तुम्हें ही पुकार कर
मंजिल खड़ी थी सामने
मैं रास्तों में खो गया
मन दूर तुम से हो गया
मन दूर तुम से हो गया
बिकने लगी अब चाहतें
बेमौल सब कुर्बानियां
छलने को ही मुस्कान है
धोखे भरी नादानियां
फूलों भरी दुनिया मेरी
कांटे तू आ के बो गया
मन दूर तुम से हो गया
मन दूर तुम से हो गया
सब खास थे मैं आम था
मजबूरियों का नाम था
तूने कभी समझा नही
मैं तेरे नाम से बदनाम था
जितना मेरे तू पास था
अब दूर उतना हो गया
मन दूर तुम से हो गया
मन दूर तुम से हो गया
करवट बदलती जिंदगी
कटती नही अब रात है
जिनसे कभी खुश थीं सदा
चुभती सभी वोह बात है
आंखो में कल आंसू लिए
जब सब जगे मैं सो गया
मन दूर तुम से हो गया
मन दूर तुम से हो गया