शायद मेरी तरह आप भी कभी न कभी तो बिखरें ही होंगे,कभी तो लगा होगा अब बस आ जाओ वापस,नहीं सहा जा रहा,ये तकलीफें क्या मारेगी,तेरा ना होना ही खाये जा रहा है।
ऐसी ही भावना को इस कविता के माध्यम से आप सभी के सामने प्रस्तुत किया है....
अब शायद अच्छा होगा।ये दूरियां आप सभी को करीब भी लाएंगी ऐसी आशा करता हूं।
सुनिएगा,महसूस करिएगा,और एक बार और फिर सुनिएगा।
और हां,कवि यानी मैं (Akshayedge) गम में है या नहीं ये मत सोचना , मैं तो हूं ही लेखक।मेरा काम ही हैं।
Yours edge(kinara yrr)
Akshay edge