माथेरान सबके लिए एक रास्ते से बढ़ कर कुछ नहीं था. हेप्पी नेस की खोज में साथ चलने वाले लोग, शाररिक रूप से कुछ अलग कर रहे थे पर मन उनका सुस्त ही था. उन्हें पता नहीं चल रहा था की खुशियाँ पलों में मिलती हैं. और वे बस जाये जा रहे थे किसी चाह में. काम अगर मस्ती, खुला पन और आजादी का हो तो वो फिर काम नहीं रहता वो जिंदगी बन जाती है. पर इन भटके राही को कौन समझाता? आप या हम सब? --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/kislaya-kindam/message
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