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सूरदास जी के अनेक रचनाओं में एक रचना जो की श्री कृष्णा और उनके भाई उद्धव को समर्पित है । उसी पद में एक तीन अक्षर वाला शब्द \"हारिल की लकड़ी \" जो की एक मुहावरे के रूप में हमारे सामने लिखित है । यहां पर हम इसके बारे में जानेंगे ।