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How do social people differentiate between right and wrong within themselves and their families?

सामाजिक लोग कैसे अपने और अपने घर परिवार में सही गलत का फर्क करते हैं?

अगर सही गलत का फैसला करना है ना तब लोगों के पास दो पैमाने होते हैं एक तो यह मेरी फैमिली है इसलिए सही है और दूसरा कि यह सही है और यह गलत।

ज्यादातर लोगों को यहां देखा जाता है कि उनका झुकाव अपने फैमिली की तरफ होता है अपने परिवार की तरफ होता है हमेशा उन लोगों की यही लालसा होती है की बस वह लोग अपनी फैमिली में ही रह जाए फैमिली ऐसी फैमिली वैसी फैमिली सबसे अच्छा जबकि पूरा का पूरा मोहल्ला जानता है की फैमिली है कैसी पर फिर भी मेरा फैमिली बहुत अच्छा हम तो उसी का साथ देंगे भले ही जो भी।

समाज में आपको बहुत सारे लोग देखने को मिल जाएंगे जो कि सिर्फ और सिर्फ मैं और मेरी फैमिली इसी सिद्धांत पर काम करते हैं और आगे बढ़ते हैं लोगों को भी यह ध्यान देना चाहिए कि क्या होता है क्या नहीं होता है क्या सच है क्या गलत है क्योंकि हमेशा जो है ना हमेशा एक ही चीज सही नहीं होता।

हम सभी इस पॉडकास्ट एपिसोड में यह जानने की कोशिश करेंगे कि कैसे एक परी की पूरी फैमिली एक पूरा का पूरा ग्रुप किस प्रकार दूसरे की जिम्मेदारी उठाने तक नहीं चाहता और फिर बाद में क्या होता है इस पूरे के पूरे बात को हमें पॉडकास्ट एपिसोड मेंजानेंगे ।

मेरी पूरी की पूरी कोशिश रहेगी कि मैं आपको यह समझा पाऊं कि किसी दूसरे के साथ गलत करना बहुत ज्यादा आसान होता हैपर उसकी जिम्मेदारी उठाने उसके साथ अच्छा करना व्यवहार अच्छा करना बातचीत अच्छी तरीके से करना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है और कुछ लोग यहां पर कर रहे हैं एक्चुअली,

पर हां कहां गया ना कि हर एक फैमिली ऐसा नहीं होता है हर एक आदमी आसानी होता हर एक आदमी गलत नहीं होता सामने वाला भले ही जो भी कर रहा है गलत कर रहा है सही कर रहा है ज्यादातर तो अपने जीवन में गलत ही कर रहा है सिर्फ मैं मैं के सिद्धांत पर चलता है सिर्फ मैं और मेरी फैमिली मैं और मेरी फैमिली के सिद्धांत पर चलता है परंतु सारे लोग ऐसे नहीं होते हैं सारे लोग जो है सभी को लेकर चलना पसंद करते हैं वह सोचते हैं कि भारत जो है ना भारत हमारा एक घर है जिसमें हर एक आदमी हमारा परिवार का सदस्य है।
आप सभी का धन्यवाद !