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Chota Gabbar

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Raat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Ranjish Hi sahi by PaponRanjish Hi sahi by Papon --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-07-0206 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 08Bhagavad Gītā Chapter 08 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3011 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 07Bhagavad Gītā Chapter 07 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3010 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 06Bhagavad Gītā Chapter 06 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3019 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 05Bhagavad Gītā Chapter 05 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3010 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 04Bhagavad Gītā Chapter 04 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3014 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 03Bhagavad Gītā Chapter 03 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3013 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 02Bhagavad Gītā Chapter 02 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3022 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Bhagavad Gītā Chapter 01Bhagavad Gītā Chapter 01 --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-04-3015 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।।श्लोक – ॐ श्री महागणाधिपतये नमः, ॐ श्री उमामहेश्वराभ्याय नमः। वाल्मीकि गुरुदेव के पद पंकज सिर नाय, सुमिरे मात सरस्वती हम पर होऊ सहाय। मात पिता की वंदना करते बारम्बार, गुरुजन राजा प्रजाजन नमन करो स्वीकार।। 
हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।। जम्बुद्विपे भरत खंडे आर्यावर्ते भारतवर्षे, एक नगरी है विख्यात अयोध्या नाम की, यही जन्म भूमि है परम पूज्य श्री राम की, हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।। 
रघुकुल के राजा धर्मात्मा, चक्रवर्ती दशरथ पुण्यात्मा, संतति हेतु यज्ञ करवाया, धर्म यज्ञ का शुभ फल पाया। नृप घर जन्मे चार कुमारा, रघुकुल दीप जगत आधारा, चारों भ्रातों के शुभ नामा, भरत, शत्रुघ्न, लक्ष्मण रामा।। 
गुरु वशिष्ठ के गुरुकुल जाके, अल्प काल विद्या सब पाके, पूरण हुई शिक्षा, रघुवर पूरण काम की, हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।। 
मृदु स्वर कोमल भावना, रोचक प्रस्तुति ढंग, एक एक कर वर्णन करें, लव कुश राम प्रसंग, विश्वामित्र महामुनि राई, तिनके संग चले दोउ भाई, कैसे राम ताड़का मारी, कैसे नाथ अहिल्या तारी। मुनिवर विश्वामित्र तब, संग ले लक्ष्मण राम, सिया स्वयंवर देखने, पहुंचे मिथिला धाम।। 
जनकपुर उत्सव है भारी, जनकपुर उत्सव है भारी, अपने वर का चयन करेगी सीता सुकुमारी, जनकपुर उत्सव है भारी।। 
जनक राज का कठिन प्रण, सुनो सुनो सब कोई, जो तोड़े शिव धनुष को, सो सीता पति होई। को तोरी शिव धनुष कठोर, सबकी दृष्टि राम की ओर, राम विनय गुण के अवतार, गुरुवर की आज्ञा सिरधार, सहज भाव से शिव धनु तोड़ा, जनकसुता संग नाता जोड़ा। 
रघुवर जैसा और ना कोई, सीता की समता नही होई, दोउ करें पराजित, कांति कोटि रति काम की, हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की, ये रामायण है पुण्य कथा श्री राम की।। सब पर शब्द मोहिनी डारी, मन्त्र मुग्ध भये सब नर नारी, यूँ दिन रैन जात हैं बीते, लव कुश नें सबके मन जीते। वन गमन, सीता हरण, हनुमत मिलन, लंका दहन, रावण मरण, अयोध्या पुनरागमन। 
सविस्तार सब कथा सुनाई, राजा राम भये रघुराई, राम राज आयो सुखदाई, सुख समृद्धि श्री घर घर आई। 
काल चक्र नें घटना क्रम में, ऐसा चक्र चलाया, राम सिया के जीवन में फिर, घोर अँधेरा छाया। अवध में ऐसा, ऐसा इक दिन आया, निष्कलंक सीता पे प्रजा ने, मिथ्या दोष लगाया, अवध में ऐसा, ऐसा इक दिन आया। चल दी सिया जब तोड़ कर, सब नेह नाते मोह के, पाषाण हृदयों में, ना अंगारे जगे विद्रोह के। ममतामयी माँओं के आँचल भी, सिमट कर रह गए, गुरुदेव ज्ञान और नीति के, सागर भी घट कर रह गए। 
ना रघुकुल ना रघुकुलनायक, कोई न सिय का हुआ सहायक। मानवता को खो बैठे जब, सभ्य नगर के वासी, तब सीता को हुआ सहायक, वन का इक सन्यासी। उन ऋषि परम उदार का, वाल्मीकि शुभ नाम, सीता को आश्रय दिया, ले आए निज धाम। रघुकुल में कुलदीप जलाए, राम के दो सुत सिय नें जाए। 
( श्रोतागण ! जो एक राजा की पुत्री है, एक राजा की पुत्रवधू है, और एक चक्रवर्ती राजा की पत्नी है, वही महारानी सीता वनवास के दुखों में, अपने दिन कैसे काटती है, अपने कुल के गौरव और स्वाभिमान की रक्षा करते हुए, किसी से सहायता मांगे बिना, कैसे अपना काम वो स्वयं करती है, स्वयं वन से लकड़ी काटती है, स्वयं अपना धान कूटती है, स्वयं अपनी चक्की पीसती है, और अपनी संतान को स्वावलंबी बनने की शिक्षा, कैसे देती है अब उसकी एक करुण झांकी देखिये ) – 
जनक दुलारी कुलवधू दशरथजी की, राजरानी होके दिन वन में बिताती है, रहते थे घेरे जिसे दास दासी आठों याम, दासी बनी अपनी उदासी को छुपाती है, धरम प्रवीना सती, परम कुलीना, सब विधि दोष हीना जीना दुःख में सिखाती है, जगमाता हरिप्रिया लक्ष्मी स्वरूपा सिया, कूटती है धान, भोज स्वयं बनाती है, कठिन कुल्हाडी लेके लकडियाँ काटती है, करम लिखे को पर काट नही पाती है, फूल भी उठाना भारी जिस सुकुमारी को था, दुःख भरे जीवन का बोझ वो उठाती है, अर्धांगिनी रघुवीर की वो धर धीर, भरती है नीर, नीर नैन में न लाती है, जिसकी प्रजा के अपवादों के कुचक्र में वो, पीसती है चाकी स्वाभिमान को बचाती है, पालती है बच्चों को वो कर्म योगिनी की भाँती, स्वाभिमानी, स्वावलंबी, सबल बनाती है, ऐसी सीता माता की परीक्षा लेते दुःख देते, निठुर नियति को दया भी नही आती है।। 
उस दुखिया के राज दुलारे, हम ही सुत श्री राम तिहारे। सीता माँ की आँख के तारे, लव कुश हैं पितु नाम हमारे, हे पितु भाग्य हमारे जागे, राम कथा कही राम के आगे।। 
पुनि पुनि कितनी हो कही सुनाई, हिय की प्यास बुझत न बुझाई, सीता राम चरित अतिपावन, मधुर सरस अरु अति मनभाव --- This episode is sponsored by · Anchor: The easiest way to make a podcast. https://anchor.fm/app --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2021-02-0215 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Mere Banne ki Baat na Poochho - Ustad Farid Ayaz & Ustad Abu MuhammadMere Banne ki Baat na Poochho Poet: Hz Kamil Shattari (RA) Recital: Ustad Farid Ayaz & Ustad Abu Muhammad Lead Vocalist: Ustad Farid Ayaz & Ustad Abu Muhammad Vocalist: Ali Akbar, Moiz Uddin Haydar, Mustafa Abu Muhammad, Muhammad Shah, Tehsin Farid & Fattah Ali  Tabla & Dholak: Ghayoor Ahmed This project will be the sharing of a special experience in which we hope you will want to participate.  --- This episode is sponsored by · Anchor: The easiest way to make a podcast. https://anchor.fm/a...2020-11-1900 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Shree Ganpati Aarti Fullसुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची| नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची | सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची| कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची॥१॥ जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती| दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥ रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा| चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा| हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा | रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया| जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती ॥२॥ लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना | सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना| दास रामाचा, वाट पाहे सदना| संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना| जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती| दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ॥३॥ —————————————————— जय देव जय देव जय वक्रतुंडा । सिंदुरमंडित विशाल सरळ भुजदंडा ॥ ध्रु० ॥ प्रसन्नभाळा विमला करिं घेउनि कमळा । उंदिरवाहन दोंदिल नाचसि बहुलीळा ॥ रुणझुण रुणझुण करिती घागरिया घोळा । सताल सुस्वर गायन शोभित अवलीळा ॥ जय देव० ॥ १ ॥ सारीगमपधनी सप्तस्वरभेदा । धिमिकिट धिमिकिट मृदंग वाजति गतिछंदा ॥ तातक तातक थैय्या करिसी आनंदा । ब्रह्मादिक अवलोकिती तव पदारविंदा ॥ जय देव० ॥ २ ॥ अभयवरदा सुखदा राजिवदलनयना । परशांकुशलड्डूधर शोभितशुभरदना ॥ ऊर्ध्वदोंदिल उंदिर कार्तिकेश्वर रचना । मुक्तेश्वर चरणांबुजिं अलिपरि करिं भ्रमणा ॥ ३ ॥ —————————————————— लवथवती विक्राळा ब्रह्मांडी माळा । वीषें कंठ काळा त्रिनेत्रीं ज्वाळा ॥ लावण्यसुंदर मस्तकीं बाळा । तेथुनियां जल निर्मळ वाहे झुळझूळां ॥ १ ॥ जय देव जय देव जय श्रीशंकरा । आरती ओवाळूं तुज कर्पूरगौरा ॥ ध्रु० ॥ कर्पूरगौरा भोळा नयनीं विशाळा । अर्धांगीं पार्वती सुमनांच्या माळा ॥ विभुतीचें उधळण शितिकंठ नीळा । ऐसा शंकर शोभे उमावेल्हाळा ॥ जय देव० ॥ २ ॥ देवीं दैत्य सागरमंथन पै केलें । त्यामाजीं जें अवचित हळाहळ उठिलें ॥ तें त्वां असुरपणें प्राशन केलें । नीळकंठ नाम प्रसिद्ध झालें ॥ जय देव० ॥ ३ ॥ व्याघ्रांबर फणिवरधर सुंदर मदनारी । पंचानन मनमोहन मुनिजनसुखकारी ॥ शतकोटीचें बीज वाचे उच्चारी । रघुकुळटिळक रामदासा अंतरीं ॥ जय देव जय देव० ॥ ४ ॥ —————————————————— आरती ज्ञानराजा | महाकैवल्यतेजा | सेविती साधुसंत || मनु वेधला माझा || आरती || धृ ||   लोपलें ज्ञान जगी | हित नेणती कोणी | अवतार पांडुरंग | नाम ठेविले ज्ञानी || १ || आरती || धृ ||   कनकाचे ताट करी |  उभ्या गोपिका नारी | नारद तुंबर हो || साम गायन करी || २ || आरती || धृ || प्रकट गुह्य बोले | विश्र्व ब्रम्हाची केलें | रामजनार्दनी | पायी मस्तक ठेविले || आरती || ३ || —————————————————— घालीन लोटांगण, वंदीन चरण । डोळ्यांनी पाहीन रुप तुझें । प्रेमें आलिंगन, आनंदे पूजिन । भावें ओवाळीन म्हणे नामा ।।१।। त्वमेव माता च पिता त्वमेव। त्वमेव बंधुक्ष्च सखा त्वमेव । त्वमेव विध्या द्रविणं त्वमेव । त्वमेव सर्वं मम देवदेव।।२।। कायेन वाचा मनसेंद्रीयेव्रा, बुद्धयात्मना वा प्रकृतिस्वभावात । करोमि यध्य्त सकलं परस्मे, नारायणायेति समर्पयामि ।।३।। अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम। श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं, जानकीनायकं रामचंद्र भजे ।।४।। हरे राम हर राम, राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे । --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2020-08-0907 minRaat Baki.. Baat Baki..Raat Baki.. Baat Baki..Shree Hanuman Chalisaश्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुण्डल कुंचित केसा हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूँज जनेउ साजे शंकर सुवन केसरीनंदन तेज प्रताप महा जग वंदन बिद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे लाय सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावैं अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना लंकेस्वर भए सब जग जाना जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानू प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधि लांघि गये अचरज नाहीं दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डर ना आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांक तें कांपै भूत पिसाच निकट नहिं आवै महाबीर जब नाम सुनावै नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा संकट तें हनुमान छुड़ावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै सब पर राम तपस्वी राजा तिन के काज सकल तुम साजा और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा साधु-संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा तुम्हरे भजन राम को पावै जनम-जनम के दुख बिसरावै अन्तकाल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई और देवता चित्त न धरई हनुमत सेइ सर्ब सुख करई संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करहु गुरुदेव की नाईं जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप --- Send in a voice message: https://anchor.fm/umeshpa8el/message2020-08-0610 min