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Bhawani Bhunkal
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Bs Creation
Jo Bheji Thi Dua New Hindi Cover Song 2022 By Girija Nandini Swain
Song Credit-Song title: Jo Bheji Thi Dua Lyrics Movie: Shanghai (2012) Singers: Arijit Singh, Nandini Srikar Lyrics: Kumaar Music: Vishal-Shekhar Music label: T-Series
2022-01-07
01 min
Bs Creation
Mera Dil Bhi Kitna Pagal Hai New Hindi Cover Song By Girija Nandini Swain
New Hindi Cover Song Original Song Credit - Song Title: Mera Dil Bhi Kitna Pagal Hai Movie: Saajan Singers: Kumar Sanu, Alka Yagnik Music: Nadeem-Shravan Lyrics: Sameer Year: 1991 Star Cast: Sanjay Dutt, Salman Khan, Madhuri Dixit Music label: Venus
2022-01-07
01 min
Bs Creation
Tum Agar Sath Dene Ka Waada Karo New Hindi Cover Song By Bhavani Bhunkal
New Hindi Cover Song Singer Bhavani Bhunkal © StarMaker Original Video Song Credit Lyricist: Sahir LudhianviSinger: Mahendra KapoorMusic Director: RaviMovie: Hamraaz (1967)
2021-11-24
02 min
Bs Creation
Tumhe Dil Se Kaise Juda Hum Karenge Cover BY Bhavani Bhunkal
New Hindi Cover Song Singer Bhavani Bhunkal © StarMaker Original Video Song Credit-Song Title : Tumhe Dil Se KaiseMovie : Doodh Ka Karz (1990)Singer : Mohammad Aziz, Anuradha PaudwalMusic : Anu MalikLyricist : Anand BakshiStarcast : Jackie Shroff, NeelamDirector : Ashok GaikwadMusic Label – T-Series
2021-11-24
04 min
Bs Creation
झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं - jhukii jhukii sii nazar beqaraar hai ki nahi Jagjit Singh
झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं - jhukii jhukii sii nazar beqaraar hai ki nahii. गाना / Title: झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं - jhukii jhukii sii nazar beqaraar hai ki nahii.nचित्रपट / Film: Arthसंगीतकार / Music Director: Kuldeep Singhगीतकार / Lyricist: कैफ़ी आज़मी-(Kaifi Azmi)गायक / Singer(s): जगजीत सिंग-(Jagjit Singh)
2021-11-23
04 min
Bs Creation
Jitni Dafa Dekhu Tujhe Cover BY Bhavani Bhunkal
Song Credit-Song: Jitni DafaMovie: ParmanuSingers: Yasser DesaiMusicians: Jeet GannguliLyricists: Rashmi Virag
2021-11-17
03 min
Bs Creation
Main Jis Din Bhula Du Tera Pyari Dil Se
Song - Main Jis Din Bhula DuSinger - Bhavani BhunkalMusic - StarMaker© STARMAKERORIGINAL SONG CREDIT -Singer Jubin Nautiyal, Tulsi Kumar Lyricist Manoj Muntashir Music Rochak Kohli Director Navjit Buttar Cast Himansh Kohli, Sneha Namanandi Choreography Sahil Director Of Photography Shiv Parkash
2021-11-15
01 min
Bs Creation
Shishe Ka Dil Banal Rahe New Bhojpuri Song Cover By Bhavani Bhunkal
Shishe Ka Dil Banal Rahe New Bhojpuri Song Cover By Bhavani Bhunkal.
2021-11-15
05 min
Bs Creation
पाप की कमाई
एक गांव में एक हलवाई और एक परचून की आमने सामने दुकान थीं। परचून की दुकान वाला टौ ईमानदारी से धंधा करता था। लेकिन हलवाई दूध में पानी मिलाता और बासी मिठाई को भी ताजा बताकर बेंच देता था।जिससे हलवाई को ज्यादा मुनाफा होता था। वह दिन पर दिन अमीर होता जा रहा था। बेचारा परचून वाला यह सब देखता और सोचता कि पाप करके भी हलवाई कितनी तरक्की कर रहा है।एक दिन उसके यहाँ एक महात्मा आये। उसने उनसे सारी बात बताई और कहा, “महाराज ! मुझे लगता है कि ग्रंथों में गलत लिखा है कि पाप की कमाई नाश का कारण बनती है। मैं तो देख रहा हूँ कि पाप की कमाई से उन्नति होती है।”महाराज जी बोले, “चलो गंगा स्नान करके आते हैं। वहीं तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी मिल जायेगा।” गंगा किनारे महात्माजी ने एक बड़ा गड्ढा खुदवाया और परचूनी को उसमें खड़ा कर दिया। फिर उस गड्ढे में उन्होंने घड़ों से पानी डलवाना प्रारम्भ किया।जब तक पानी परचूनी के गले के नीचे था। वह तब तक आराम से खड़ा रहा। जैसे ही पानी गले से ऊपर पहुंचा। वह बोला, “महाराज! अब बस करिए, नहीं तो मेरी सांसें रूक जायेंगीं।”महाराज बोले, “बस यही बात पाप की कमाई में भी होती है। जब तक पाप गले के नीचे रहता है। उसकी कमाई में बरकत दिखाई देती है। लेकिन जैसे ही वह गले के ऊपर जाता है। किसी न किसी तरह नष्ट हो जाता है।चोरी से, बीमारी से, आग लगने से, लूटने से या किसी अन्य प्रकार से वह नष्ट ही हो जाता है।Moral- सीखपाप या अन्यायपूर्ण तरीके से धन नहीं कमाना चाहिए।
2021-09-08
01 min
Bs Creation
सोने का अंडा
बहुत पहले की बात है एक गांव में अली नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसके माँ बाप बचपन में ही गुजर चुके थे। वह खेतों में काम करके अपना गुजारा बड़ी मुश्किल से करता था। उसके पास एक मुर्गी थी। जो उसको रोज़ एक अंडा देती थी।जब उसके पास कभी खाने के लिए कुछ नहीं होता तो वह रात को अपनी मुर्गी का अंडा खा कर ही सो जाता था। उसके पड़ोस में एक बासा नाम का एक व्यक्ति रहता था। जो की सही व्यक्ति नहीं था।जब उसने देखा की अली अपना गुजारा सही से कर रहा है तो उसने एक दिन अली की मुर्गी चुरा ली। जब अली घर पर नहीं था। इसके बाद बासा मुर्गी को मार कर पका कर खा गया। जब अली घर आया और उसने घर पर मुर्गी को नहीं देखा तो इधर उधर अपनी मुर्गी को ढूंढने लगा।उसने मुर्गी के कुछ पंख बासा के घर के बाहर देखे। उसने बासा से बात की तो बासा ने कहा की उसकी बिल्ली एक मुर्गी को पकड़ कर लायी थी। मैंने उसको पका कर खा लिया। मुझे क्या पता था वह तुम्हारी मुर्गी है।अली ने बासा से कहा की वह इसकी शिकायत न्यायाधिकारी से करेगा। यह बात सुनकर बासा ने मुर्गी की जगह अली को एक छोटा बत्तख दिया। अली ने उस बत्तख को पाला जिससे कुछ दिनों बाद वह बत्तख बड़ा हो गया और अंडा देने लगा।एक रात को जब बहुत बारिश आ रही थी। एक साधू भीगता हुआ रहने की जगह मांगने के लिए बासा के घर पहुंचा। लेकिन बासा ने उसको मना कर दिया। इसके बाद वह अली के घर गया। अली ने उसको रहने के लिए जगह दी और खाना भी खिलाया।अगली सुबह वह अली के घर से जाने लगा लेकिन जाते हुए उसने अली के बत्तख के सिर पर हाथ फेरा। इसके बाद जब बत्तख ने अंडा दिया तो वह सोने का था। अली यह देखकर बहुत खुश हुआ।अब बतख़ जब भी अंडा देता तो वह सोने का होता था। सोने के अंडे को बेचकर अली की सारी गरीबी दूर हो गयी। लेकिन फिर भी वह साधारण जिंदगी ही जीता था। एक दिन बासा ने बत्तख को सोने का अंडा देते हुए देख लिया और वह न्यायाधिकारी के पास गया।वह न्यायाधिकारी से बोला की अली ने कल मेरा बतख चुरा लिया है। जब न्याय अधिकारी ने अली से पूछा तो उसने सारी बात बताई की किस तरह बासा ने ही उसको बत्तख दिया था। न्यायाधिकारी ने कहा की मै कल इसका फैसला करूँगा की बत्तख किसको मिलेगा।बत्तख ने रोज़ की तरह न्यायाधिकारी के पास भी सोने का अंडा दिया। अगले दिन न्यायाधिकारी ने दोनों को सामान्य अंडा दिखाया और कहा की यह कल तुम्हारे बत्तख ने दिया है। अलग पूछने पर अली ने न्यायाधिकारी को सच बताया की उसकी बतख सोने का अंडा देती थी।जबकि बासा ने कहा की उसकी बत्तख सामान्य अंडा देती है। न्यायाधिकारी ने एक नया बतख लेकर बासा को दे दिया। और अली को सोने का अंडा देने वाली बतख दी। अली दोबारा सोने का अंडा देने वाली बत्तख पा कर खुश हुआ।Moral of the storyसीख: हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए और दूसरों को देखकर ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
2021-09-05
03 min
Bs Creation
भगवान का दोस्त
जून की दोपहर थी।आसमान ही नहीं जमीन भी तप रही थी। ऐसे में 8-10 साल का एक लड़का नंगे पांव फूल बेच रहा था। पैरों की जलन उसके चेहरे पर दिख रही थी। वहां से गुजर रहे एक सज्जन को ब्लाक पर दया आ गयी।वे पास की जूतों की दुकान पर गए और वहां से एक जोड़ी जूते ले आए। जूते बालक को देकर उन्होंने कहा, “लो इन्हें पहन लो।” जूते देखकर बालक खुश हो गया। उसने झटपट जूते पहन लिए।खुश होकर उसने उन सज्जन का हाथ पकड़ कर पूछा, “क्या आप भगवान हो?” सज्जन चौककर बोले, “नहीं बेटा, में भगवान नहीं हूँ।”तो बालक चहककर बोला, “तो आप आप जरूर भगवान के दोस्त होंगे। क्योंकि मैंने कल रात भगवान से प्रार्थना की थी। है भगवानजी! धूप में मेरे पैर बहुत जलते हैं। मुझे जूते ले दीजिये और उन्होंने आपसे जूते भिजवा दिए।”बालक की बात सुनकर सज्जन की आंखों में आंसू आ गए। वे ईश्वर को धन्यवाद देते हुए चल दिये।Moral of Story- सीखहमें हरसंभव दूसरों की मदद करने का प्रयास करना चाहिए। न जाने हम कब ईश्वर के दोस्त बन जाएं।
2021-09-04
01 min
Bs Creation
मां की ममता
आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे , इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे , इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी , किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया , वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।मोरल –संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।
2021-09-04
01 min
Bs Creation
दोस्त का महत्व
वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं , पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।एक दिन की बात है , वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई , इस पर वेद को मालिश किया गया।मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। वेद जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था। नैतिक शिक्षा – दोस्त सुख – दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।
2021-09-03
01 min
Bs Creation
शेर का आसन
शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा। शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है , आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है। ‘नैतिक शिक्षा –जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।Moral of this short hindi story –Never leave your own personality. And also not try to copy anyone’s identity.
2021-09-03
01 min
Bs Creation
मुर्गा की अकल ठिकाने
एक समय की बात है , एक गांव में ढेर सारे मुर्गे रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया , उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला। सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है। नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।Moral of this short hindi story – Never be too arrogant. Your work should tell your importance to the world.
2021-09-03
01 min
Bs Creation
आखिरी प्रयास
एक समय की बात है. एक राज्य में एक प्रतापी राजा राज करता था. एक दिन उसके दरबार में एक विदेशी आगंतुक आया और उसने राजा को एक सुंदर पत्थर उपहार स्वरूप प्रदान किया.राजा वह पत्थर देख बहुत प्रसन्न हुआ. उसने उस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा का निर्माण कर उसे राज्य के मंदिर में स्थापित करने का निर्णय लिया और प्रतिमा निर्माण का कार्य राज्य के महामंत्री को सौंप दिया.महामंत्री गाँव के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास गया और उसे वह पत्थर देते हुए बोला, “महाराज मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करना चाहते हैं. सात दिवस के भीतर इस पत्थर से भगवान विष्णु की प्रतिमा तैयार कर राजमहल पहुँचा देना. इसके लिए तुम्हें ५० स्वर्ण मुद्रायें दी जायेंगी.”५० स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार ख़ुश हो गया और महामंत्री के जाने के उपरांत प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ करने के उद्देश्य से अपने औज़ार निकाल लिए. अपने औज़ारों में से उसने एक हथौड़ा लिया और पत्थर तोड़ने के लिए उस पर हथौड़े से वार करने लगा. किंतु पत्थर जस का तस रहा. मूर्तिकार ने हथौड़े के कई वार पत्थर पर किये. किंतु पत्थर नहीं टूटा. पचास बार प्रयास करने के उपरांत मूर्तिकार ने अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किंतु यह सोचकर हथौड़े पर प्रहार करने के पूर्व ही उसने हाथ खींच लिया कि जब पचास बार वार करने से पत्थर नहीं टूटा, तो अब क्या टूटेगा.वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है. इसलिए इससे भगवान विष्णु की प्रतिमा नहीं बन सकती.महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया. पत्थर लेकर मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही उस पर हथौड़े से प्रहार किया और वह पत्थर एक बार में ही टूट गया.पत्थर टूटने के बाद मूर्तिकार प्रतिमा बनाने में जुट गया. इधर महामंत्री सोचने लगा कि काश, पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास और किया होता, तो सफ़ल हो गया होता और ५० स्वर्ण मुद्राओं का हक़दार बनता.सीख मित्रों, हम भी अपने जीवन में ऐसी परिस्थितियों से दो-चार होते रहते हैं. कई बार किसी कार्य को करने के पूर्व या किसी समस्या के सामने आने पर उसका निराकरण करने के पूर्व ही हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम प्रयास किये बिना ही हार मान लेते हैं. कई बार हम एक-दो प्रयास में असफलता मिलने पर आगे प्रयास करना छोड़ देते हैं. जबकि हो सकता है कि कुछ प्रयास और करने पर कार्य पूर्ण हो जाता या समस्या का समाधान हो जाता. यदि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है, तो बार-बार असफ़ल होने पर भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिये, जब तक सफ़लता नहीं मिल जाती. क्या पता, जिस प्रयास को करने के पूर्व हम हाथ खींच ले, वही हमारा अंतिम प्रयास हो और उसमें हमें कामयाबी प्राप्त हो जाये.
2021-09-01
03 min
Bs Creation
शरारती बंदर
एक समय की बात है , एक जंगल में एक शरारती बंदर रहा करता था। वह बन्दर सभी को पेड़ों से फल फेक – फेक करके मारा करता था। गर्मी का मौसम था पेड़ों पर खूब ढ़ेर सारे आम लगे हुए थे।बंदर सभी पेड़ों पर घूम-घूमकर आमो का रस चूसता और खूब मजे करता।नीचे आने – जाने वाले जानवरों पर वह ऊपर से बैठे-बैठे आम फेंक कर मारता और खूब हंसता।एक समय हाथी उधर से गुजर रहा था।बंदर जो पेड़ पर बैठकर आम खा रहा था , वह अपने शरारती दिमाग से लाचार था।बन्दर ने हाथी पर आम तोड़कर मारा।एक आम हाथी के कान पर लगी और एक आम उसके आंख पर लगी। इससे हाथी को गुस्सा आया। उसने अपना सूंढ़ ऊपर उठाकर बंदर को गुस्से में लपेट लिया और कहा कि मैं आज तुझे मार डालूंगा तू सब को परेशान करता है। इस पर बंदर ने अपने कान पकड़ लिए और माफी मांगी।अब से मैं किसी को परेशान नहीं करूंगा और किसी को शिकायत का मौका नहीं दूंगा।बंदर के बार बार माफी मांगने और रोने पर हाथी को दया आ गई उसने बंदर को छोड़ दिया।कुछ समय बाद दोनों घनिष्ट मित्र हो गए।बंदर अब अपने मित्र को फल तोड़ – तोड़ कर खिलाता और दोनों मित्र पूरे जंगल में घूमते थे।नैतिक शिक्षा – किसी को परेशान नहीं करना चाहिए उसका परिणाम बुरा ही होता है।
2021-09-01
04 min
Bs Creation
क्रोध ने हमको बांधा हैं या हमने क्रोध को
एक बार एक व्यक्ति एक महात्मा के पास गया और उसने उस महात्मा से कहा कि हे ! महात्मा मुझे बहुत क्रोध आता हैं | कृपया कोई उपाय बताये | तब महत्मा ने धीरे से मुस्कुरा कर हाथ आगे बढाया और अपने हाथ की मुट्ठी बांधकर कहा – हे भाई ! मेरी यह मुठ्ठी बंद हो गई हैं खुल नहीं रही हैं | तब उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा हे महात्मा| आपने ही यह मुठ्ठी बाँधी हैं आप खुद ही इसे खोल सकते हैं | तब महात्मा ने मुस्कुराकर कहा हे भाई ! जब यह मुठ्ठी मुझे बांधकर नहीं रख सकती तब क्रोध तुम्हे कैसे बाँध सकता हैं मन के जिस कोने में क्रोध को पकड़ रखा हैं उसे वहाँ से जाने दो | मन में उसे बैठाकर नहीं रखोगे तो उससे दूर करने का उपाय भी नहीं पूछना होगा |Moral Of The Story:बुराई खुद जन्म नहीं लेती | हमारा मन ही उसे जगह देता हैं | जब हम अच्छा बुरा जानते हैं तब उन्हें अपने अन्दर पनपने से भी रोक सकते हैं | जैसे एक शराबी जानता हैं कि शराब पीने से उसका कोई लाभ नहीं | बल्कि भविष्य में उससे उसे तकलीफ ही होगी |तो क्या वह अपने आपको इस बुराई से दूर नहीं कर सकता ?बुराई को जान कर पाल कर रखना, रखने वाले की गलती होती हैं बुराई की नहीं |
2021-09-01
01 min