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Deepak Mahapatre

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Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Mere yaaro namak to zakham ka marham nhin hota,(Haal-e-zubaan)/deepak mahapatre/sameer malhotraकिसी का दर्द केवल पूछने से कम नहीं होतामेरे यारों नमक तो ज़ख़्म का मरहम नहीं होता,यकीं है उसपे अच्छी बात है लेकिन ये रखना यादकि पूरे साल भर में एक सा मौसम नहीं होता,नशा हो या मोहब्बत हो उतरती चढ़ती रहती हैउतर जाये मोहब्बत फिर तो कोई गम नहीं होता,पसीना बह गया था काटने में इक पुराना पेड़मुझे लगता था बूढ़ों में तो इतना दम नहीं होता,मेरे दुश्मन गिराकर सोचते हैं हार जाऊँगामगर ये हौसला मेरा कभी क्यों कम नहीं होता, - दीपक महापात्रे2021-11-0102 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Abhi housle se mulaqaat hai||Deepak Mahapatre||Haal-e-zubaanVoice & writing by - Deepak Mahaptre music produced arranged mixed and mastered by- sameer malhotra.2021-07-1802 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Zamaana (Haal-e-zubaan) {Deepak mahapatre}Music by - sameer malhotra. Writing and voice by Deepak mahapatre.2021-05-2503 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Zindagi {saanson ki sachchai} Haal e zubaan ,Deepak mahapatreZindagi ke pahlu .......2021-03-2703 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Masarrat - Deepak mahapatre (Haal-e-zubaan)Written by and voice - Deepak mahapatre.. मसर्रत ये तुमारी कुर्बत ये मेरे मोहब्बत जवां रहे, खिलखिलाती बस्ती मेरी मसर्रत रवां रहे, कुछ बातें रिवायती कुछ बातें पुरानी रहे, ज़िन्दगी की एक साल की और एक कहानी रहे, उड़ गए परिंदे अपने नए ठिकाने पर हौसले पुराने बातें ले नए जमाने पर, आज भी याद है मुझे वो किस्से बचपन के शरारती दौर माँ के थपकियाँ बचपन के, रातों के नींद में ख़्वाब बड़े सच्चे थे, कच्ची रेत पर झिलमिलाती महल अच्छे थे, मसर्रत अक्षर ढेला स्याही में था, कागज़ की कश्ती पक्के सुराही में था, चिलचिलाती धूप नंगे पैर वो आम कच्चे थे बड़ा उम्र याद करते हैं कभी हम भी बच्चे थे, बड़े प्यार से संझौता हूं में अपनी किए बेमानी को इन मसरूफ़ भीड़ में भूल जाता हूँ मैं अपनी कहानी को, बड़े सान ए शौक़त से मानता हूँ अपनी बीती ज़िन्दगानी को उठे धुएं दीपक तले मौत आग़ोश रवानी को। Keep Listening - Spotify - https://open.spotify.com/episode/5wd224sRT2lXlEd1uwgzi5?si=XpyUcfssQiOi3mJo4xtGCQ Jio savan - https://www.saavn.com/s/show/Haal-e-zubaan-Deepak-Mahapatre-/1/Lamhan---Haal-e-zubaan-Deepak-mahapatre/ulBGgZokrvE_ Google podcasts - https://podcasts.google.com/?feed=aHR0cHM6Ly9hbmNob3IuZm0vcy8zMGYyYWE2NC9wb2RjYXN0L3Jzcw&ep=14&episode=MDMyYzA2ZGYtNjMxMS00OWNiLTgyY2EtZDQxMjY0OWVmNGQ2 Radiopublic - https://radiopublic.com/haal-e-zubaan-deepak-mahapatre-G1ednD Pocket cast - https://pca.st/fge2iw56 Overcast - https://overcast.fm/itunes1532663901/haal-e-zubaan-deepak-mahapatre Breakeraudio- https://www.breaker.audio/haal-e-zubaan-deepak-mahapatre Anchor - https://anchor.fm/deepak-mahapatre Follow on Instagram - https://instagram.com/deepakmahapatre?igshid=169d6e8zek7le Facebook - https://www.facebook.com/deepak.mahapatre.7 Twitter - https://twitter.com/mahapatr_deepak?s=09 Follow my thoughts on the YourQuote app at https://www.yourquote.in/deepakmahapatre1411 Nojato - Follow more such stories on @Nojotoapp Connect with me on Nojoto: https://nojoto.page.link/vUsc #shaayri #haalezubaan #poetry *Thank you*2021-01-0103 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Lamhan - Haal e zubaan Deepak mahapatreWritten by Deepak mahapatre. लम्हा कुछ बिछड़े लम्हों का सफ़र अल्फ़ाज़ों का दौर लम्हां था गुज़र गया, जो साथ था वो बिछड़ गया, ख़्वाबों के शहर में वो रोज़ आता था,मोहब्बत था सुधर गया, इन आसमानों के तारों में जो बिजली चलती है चन्द बारिशों के बूंदो में मोहब्बत बरस गया, ठहरता गया लम्हा उनके एक एक नज़र के वार से उन्होंने मुस्कुरा कर जो देखा ये गुस्ताख़ दिल बिगड़ गया, निहारता रहा उनकी बिंदी को कोई मर्तवा उन्हीने नजरें शर्मा कर झुकाया नब्स वहीं फ़िसल गया, हाथ थाम लेता गर जमाने का डर ना होता दूर से देख उन्होंने आहें भर ली बेचैन दिल वहीं संभल गया, आज भी नींद करवटें बदल बदल कर लेता हूँ तुझे मिला लम्हां से नींद वहीं पिछड़ गया, ए दीपक इस मोहब्बत ने तुझे अंधेरे के सिवाए दिया क्या तूने रखा आँचल उनके दामन का हर रोज याद बदल गया।2020-12-1803 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Matlab (Haal e zubaan) (Deepak mahapatre)Written and vocal by Deepak mahapatre. मतलब मतलब से बना था जग मेरा मतलब से ठहरा था साथ मेरा तेरा, मतलब से बंधी थी तेरी मेरी यारी ख़ामख़ा ढूंढने लगा था तुझमें जग सारा, मतलब तन्हाई में ढूंढता था जो हर वक़्त तुमको ख़ुदग़र्ज़ में दब गया ये दिल बेचारा, मतलब ही था जो बन्धा हमको मतलब ही ने दिया एक दूजे को सहारा, मतलब ने तोड़ी हमारी रिश्ते कहानियां टूट गयी सारी कसमें जीत मन दिल हारा, मतलब बिखराती गयी एक के बाद एक सांसे मीठे समन्दर में ए दीपक तेरा मन ही खारा । मतलब से बना जग मेरा तेरा........2020-11-1302 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Be-zubaan (insaaniyat kaa ant).{Haal e zubaan}Written and voice by Deepak mahapatre. बे-ज़ुबान जो कभी किस्से थे आज वो कहानियां बन गए, जो कभी दिल-ए-अल्फ़ाज कहते थे वो बेज़ुबान बन गए, जिनका कभी राज होता था इन आसमानो में वो चन्द दानो के मेहरबान हो गए, वो बेज़ुबान बन गए, दादी सुनाती थी राजा रानी परिंदों की कहानियां कहानियों में अब इंसान हैवान बन गए,वो बे-ज़ुबान बन गए, चहकते लाली सुन रह गए, निल गगन अब धुंध रह गए ना करो पूजा ,ना करो फ़रियाद तुम ही सैतान हैवान बन गए, वो बेज़ुबान बन गए, तड़प उठी रूह, नन्ही जान तड़प देखा, बे-जान पंखों को मैने फेंकते देखा डर,दर्द हैवानियत से कांप उठी थी वो, ये इंसान तूम भी कैसे बे जान बन गए, चहकते नन्ही जान बे-ज़ुबान बन गए, जिनका कभी ये आसमाँ था, रौंद आंखें ये सियाह हो गए जल गई पंखें ये मुर्शित टूट ग़ुरबत बे जान बन गए, वो बे-ज़ुबान बन गए, चुभते दानों को डाल लेते हो बड़े तस्वीरें जो कभी तुम्हारा था नही वो दे तुम कर्ज़दान बन गए, वो बे-ज़ुबान बन गए इस चमकते महफ़िल का ए दीपक मैं भी तो एक गुलदान हूँ इन महफिलों का परोंदें-ए-दर देख रोशनदान बन गए, वो बे-ज़ुबान बन गए।2020-11-0903 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Waqt (वक़्त)voice and lyricist ~ Deepak mahapatreSpotify original waqt written by - Deepak Mahapatre वक़्त रफ़्ता- रफ़्ता वक़्त ढ़ल गया,. वक़्त हुआ न था सांझ ढलता गया किसी के घड़ी में वक़्त नही अपनो के साथ बिताने को. वो कहते गए परायों के लतीफ़ों में वक़्त ढलता गया, कौन अपना कौन पराया ये सोंचने को वक़्त कहाँ अब वही अपना जिसके साथ वक़्त कलता गया, हम निकले ना थे ख्वाबों के घेरे से अतीत का लम्हा वक़्त के साथ खेलता गया, रंजिशों में हम यूँ मसरूफ थे अपनो के साजिशों से वक़्त हमे छलता गया, हमारी जीस्त इतने अंधरो में गुजरी थी उजाले के नाम पर एक "दीपक" से काम चलता गया। रफ़्ता -रफ़्ता वक़्त ढलता गया,. वक़्त हुआ न था सांझ ढलता गया2020-10-2201 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Lout aana02 (लौट आना)02 Haal e zubaan "Deepak mahapatre"Written and voice by -Deepak mahapatte ।।लौट आना।। ए आसमाँ के पंछी शाम में लौट आना, धड़कने बढ़ रही मेरी थामने तुम लौट आना, कुछ किस्से तुम सुनना कुछ मैं सुनाऊ मेरी बेइंतहा मोहब्बत की ख़ातिर तुम लौट आना। भुला देना मेरी सारी ग़लती सारी गुस्ताखियों को हल्की हल्की मुस्कान दे तुम लौट आना, इस फ़रेब महफ़िल में मिलेंगे कई आशिक़ तुमको उलझने ना रखना दिल में तुम लौट आना, पतझड़ मौसम में कली टूटते देखा है सावन का मौसम है नई कली सा लौट आना, ज़िन्दगी के कठिन पहली बुझते बुझाते थक गया हूँ आसान सा रुबाई बनके मेरी डायरी में लौट आना, इन लोगों के सवालों से ना डगमगाना तुम.... दिल मे बची मोहब्ब्त समेट कर ले आना तुम बांट लेंगे दर्द, पौटली में बांध लौट आना तुम। देख इस दीपक से धुंध निकलती नही अब इसके उजाले में छांव सा बन लौट आना तुम।2020-10-1901 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Lout aanaa (लौट आना ) written and voice - Arpita AroraLout aana .......... Haal e zubaan Deepak mahapatre #shayri #poetry2020-10-1202 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Aasaman (आसमां) original - Haal-E-zubaan {Deepak Mahapatre}Written and vocal -Deepak Mahapatre. Line's-. आसामां आसामां के पंछी आसां में उतर रहे हैं, तूफ़ां अभी थमा है वो फिर से संभल रहे हैं, सुनी तन्हाईओं से भरे ,हैं मेरे रास्ते शरपसंदी के अपने रंग बदल रहे हैं, आसामां के फ़ज़ीलत करते थक चुका हूँ अब मुझे जमीं के मिट्टियाँ बुला रहे हैं, आसामां के पंछी आसां में उतर रहे हैं तहज़ीब में रहने को कहते हैं लोग मुझसे जो आसमां के सपने उड़ा रहे हैं, मेरा बसेरा एक ही है, जमीं लोग आसां में घर के इल्ज़ाम लगा रहे हैं, आसमां के पंछी आसमाँ में उतर रहे हैं । मोहब्बत बिक जा रही है वक़्त नाम के पर धूप ढली नही ,आब शबनम में बदल जा रहे हैं, बादल ढकती जाती मुझे एक बाद एक दोस्ती के नाम पर लोग ठगते जा रहे हैं, आसमान के पंछी आसमां में उतर रहे हैं। तूफ़ां उड़ा ले गई सारि बस्तियाँ अब बचे घर के मेरे दीवाल, से लोग ईंट उठा रहे हैं, क्या हो गया इन शहर के लोगों को फटाके के रोशनी देख ये दीपक बुझा रहे हैं, आसमां के पंछी आसमान में उतर रहे हैं।2020-10-1002 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Mout (मौत) *Deepak mahapatre * ~ Haal e zubaanWritten by ~Deepak Mahapatre. Voice ~ Deepak mahapatre. Alfaz~ Be-naam zindagi ka koi asar naa rha. Mout itne karib thi ki koi Safar naa rha. Tanhai ka wazah puchte puchte thak gye log Apno ki hi mehrbani thi ye khabar naa rha. Zindagi aur mout ka Safar mere itne karib tha Mout se pahle Zindagi ka koi zafar naa rha. Mout itne karib thi ki koi safar naa rha. Mohobbt se haara apno se hara Zindagi ne itne thokar diye ki apna koi tewar naa rha. Waqat ne katra-katra uamr le liya Mout samne thi aur mai kayar naa rha. Mout...2020-09-2801 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )Qatl (कत़्ल)Haal-e-zubaan{Deepak mahapatre)"Qatl" hindi poetry written and voice by- "Deepak mahapatre" lyrics-. कत़्ल कत्ल - ए- साजिश रचाई गई थी, हमारी कब्र बिछाई गई थी, सवालात इतने किए लोगों ने शायद हमारी जबाब पहले से अजमाई गई थी, हमारे तख़लीफ का इल्म ना था किसी को यूँ हमारी भावनाओं को सताई गई थी, क.... फ़कत हमें खबर ना थी हमारे गुनाह का बाकी दुनिया को बताई गई थी, अपने तो हर दम पराए थे बस अब हमें तनहाई दिखाई गई थी, क..... सपनो के जंजीर में हम यूँ जकड़े थे खामोशी से हकीकत बताई गई थी, लौट आते हम उन अन्धेरी गलियों से मगर गुमनामी के लिए एक दीपक जलाई गई थी, क....।2020-09-2302 minHaal e zubaan (Deepak Mahapatre )Haal e zubaan (Deepak Mahapatre )याद (दीपक महापात्रे)याद एक ख़्वाब जहन में आई है फिर से, धीरे -धीरे तुम्हारी याद सता रही है फ़िर से, लगता है ये हवा तुमको छू कर आई है इस सबब महक उठा है मेरा आंगन फिर से। जब कभी किसी के निगाहें ए कशिश में डूबता हूँ तुम्हारी आँचल आंख में ढक जाती है फिर से। कुछ तो बाकी रह गया तेरे दरमियां अब भी मुझमे कुछ अधूरा अधूरा लग रहा है फिर से। ज़ुबान से जब कभी मोहब्बत का ज़िक्र होता है तुम्हारी तिलस्मी तस्वीर आजाती है फिर से। जब कभी किसी महबूब के इश्क़ में खोने लगता हूँ तुम्हारी बेवफाई दीपक जला जाती है फिर से । दीपक2020-09-2002 min