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Pankaj Upadhayay (Poet | Filmmaker)

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Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Poetry Podcast | Mera Shaher Mera Desh | Indu Sood | Pankaj Upadhayay | #hindipoetry #poetry Poetry Podcast | Mera Shaher Mera Desh | Indu Sood | Pankaj Upadhayay | #hindipoetry #poetry In today's Poetry Podcast, I have the honour of reciting two precious jewels penned beautifully by the very gifted Mrs Indu Sood from Sydney Listen in: मेरा शहर मेरा देश ऊबड खाबड़ सड़कें टूटे फूटे footpath कहीं बस्ती वालों का उत्पात भीड़ भीड़ और आवाज़ें ही आवाज़ें लगता है मानो सारा शहर चल रहा है खिड़की के पास चाय पीने बैठो तो सुबह सुबह चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ें रद्दी वाला ,फल और सब्ज़ी वाला छन छन करता चाबीवाला ब्रेड ,अंडे और दूधवाला पेपर ,और चनाचूर वाला सब अपनी बिक्री के लिए निकल पड़ते हैं तेज रफ़्तार से चलती गाड़ियाँ हॉर्न पर हाथ रखें मोटरसाइकिल वाले स्कूलबस या रिक्शेवाले बच्चों को ले जाते हुए कुछ पहचानी शक्लें जो बूढ़ी हो गई हैं कुछ चंचल बच्चे जो अब बड़े हो गयें हैं कुछ अनजान चेहर जो शायद नए आए हैं हर तरफ़ बस शोर ही शोर सुबह सुबह चाय क़ी चुसकियाँ लेते लोग बाल्टी खड़काता नीबू चाय वाला पर इन अनगिनत आवाज़ों के बीच कुछ गहमागहमी कुछ अपनापन है कोई दीदी तो कोई बौदी पुकारता कोई दादा तो कोई दादा बाबू गंदगी के ढेर पर सोये कुत्ते आनंद की नींद लेते हुए माना कोई सफ़ायी नहीं है नाहीं है कोई अनुशासन जो भी है,पर है तो अपना अपना शहर ,अपना देश इन्दु सूद सिड्नी २०२३ …… अपना नशेमन अपना शहर अपना नशेमन अपना शहर अपना देश छोड़ आई हूँ हर सूं बिखरी यादों के हुजूम से कुछ यादें सूटकेस में भर कर ले आई हूँ कुछ बिखरी बिखरी सी छोड़ आयी हूँ कुछ को बक्सों में भर कर कबाड़ी ले गया बाक़ी रद्दी वाला बोरियों में भर कर ले गया चंद रुपयों की ख़ातिर उस अनमोल ख़ज़ाने की भला कोई क़ीमत है? कुछ ख़ुशनुमा से झांकते लम्हे अपने दिल की गहरायी में समेट लायी हूँ अशकों का समंदर आँखो में भर लायी हूँ जो दुखती रग को छू लेने भर से छलक कर बिखर जाते हैं बिछरने के दर्द ने मुझे जड़ कर दिया था क्या रखूँ क्या फेंकूँ कुछ भी समझ ना पायी थीं ज़िंदगी के इस रुख़ को कैसे स्वीकार करूँ ? कैसे निर्विकार हो कर अपना लूँ? बड़े नाज़ों से बनायी ग्रहस्थी बड़े प्यार से बनायी सजावटें कुछ सुने गुनगुनाते नग़मे कुछ खट्टे मीठे गीत कुछ ले आयी हूँ कुछ सिसकते हुए छोड़ आयी हूँ क्या करूँ क्या ना करूँ ? हिम्मत मिली पापा जी की ज़िंदगी से जो अपने आशियाने को सजा सजाया छोड़ आए थे नया आशियाना बनाया नएशहर में नयी ग्रहस्थी सजायी पेड़ के साये तले बैठी रोज़ हिम्मत जुटाती हू परदेस में बने इस घर को अपना बनाने के लिए नित नए जतन करती हूँ बच्चों के प्यार और अपनेपन मे वक्त के बवंडर में सब भूल जाना चाहती हूँ पर घर तो एक बार ही बनता है सोच कर फिर कमज़ोर पड़ जाती हूँ शायद मेरी ज़िंदगी में एक बार फिर बहार दस्तक दे नग़मे फिर गूंज उठें फुलवारी फिर महक उठे बदलाव ही तो ज़िंदगी की सच्चाई है ऐसा मान कर ही चलना होगा ........, अपना नशेमन अपना शहर अपना देश छोड़ आई हूँ हर सूं बिखरी यादों के हुजूम से कुछ यादें सूटकेस में भर कर ले आई हूँ इन्दु सूद सिड्नी २०२३ Director/ DOP/ Editor Euphony Films Sydney Australia ----------------------------------------------------- Review Euphony on social media: Film Profile: https://filmfreeway.com/PankajUpadhayay Radio Profile: https://anchor.fm/pankaj-upadhayay YouTube: http://www.youtube.com/c/EuphonyFilms Facebook: https://www.facebook.com/euphonyFilms Instagram: https://www.instagram.com/euphonyfilms/ Google: https://bit.ly/2Hmktyt Website: www.euphonyXpressions.com Pricing: http://bit.ly/3h0ImcM Fundraiser: https://gf.me/u/yz52p7 --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2023-05-2205 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Ma | Poetry Podcast | माँ | Dedicated to every mother and child⁠Ma | Poetry Podcast | माँ | Dedicated to every mother and child #Mothersday2023 #mothersday #mother#magic #Amma #Ammi #mummy #mumma मेरी दिवंगत माता व सभी माताओं को समर्पित कुछ पंक्तियाँ" मां " ' तू ही अग्नि, तू ही जल, अचल भी तू और तू ही चलतू ही जीवन की सुरभि, तुझसे है विषयों से मुक्तिऐ मां तेरी सूरत इस जग में कुछ निराली है'तू प्रेममयी प्राण दाई है वात्सल्यमयी रानी हैतेरे बिना ये जग शून्य है, असत्य है, अश्वेत हैकाबा तू, कैलाश भी तूज़मज़म तू, क्षीरसागर भी तू,शंकर के जटाओं की गंगा भी तूयशोदा भी तू, और कृष्णा भी तूसंपूर्ण रहस्य है तुझमें लुप्तसागर भी तू, मेरु भी तूऐ मां तू जीवन के हर कुरुक्षेत्र की क्षत्राणी हैतू विघ्नहर्ता, मान दाता क्षितिज पटरानी हैमान भी तू निर्माण भी तूसृष्टि का निर्वाण भी तूतुझसे ही है जीवन की दृष्टितुझसे ही है लोक में शक्तिभक्ति तू, भाव भी तूअंतरिक्ष सा संभाव भी तूसरस्वती और वीणा भी तूममत्व की असीम सरिता भी तूतुझसे ही हर इच्छा की पूर्तितुझसे ही है स्वर्ग संतुष्टिऐ मां तू सर्वगुण संपन्नलक्ष्मी है, भवानी हैऐ मां तू विल्क्षण चरित्र में गढ़ीएक पुस्तक पुरानी है'- पंकज उपाध्याय --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2023-05-1401 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2023-05-1104 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2023-05-1104 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2023-03-1429 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Happy Holi | Hindi Poem | Pankaj Upadhayay | Euphony |Happy Holi | Hindi Poem | Pankaj Upadhayay | Euphony |   फाल्गुन की पूर्णिमा पर बसंत ऋतु के शुभआरंभ में ले आए लकड़ी, घास फूस का ढेर  होली के दिन अग्नि को भेंट  राधा कृष्ण ब्रज भी सिमरन काम-रति, शिव का भी चिंतन भक्त प्रहलाद की विजय तिलक कर विष्णु नरसिंह होलिका दहन  मथुरा वृंदावन, द्वारका वंदन एकतारा, धुबरी, वीणा व कुमकुम गुझिया, माल पुए और ठंडाई फिरनी, लड्डू और रसमलाई  माता पिता, बहन और भाई मित्रों ने भी, समा बनायी आओ मिल कर बाँट ले रंग, अबीर, उत्साह के संग खुशियों वाली होली के उड़ते रंग  - पंकज उपाध्याय 07.03.2023   Director/ DOP/ Editor Euphony Films Sydney Australia ----------------------------------------------------- Review Euphony on social media: Film Profile:     https://filmfreeway.com/PankajUpadhayayRadio Profile:  https://anchor.fm/pankaj-upadhayay  YouTube:        http://www.youtube.com/c/EuphonyFilmsFacebook:       https://www.facebook.com/euphonyFilmsInstagram:       https://www.instagram.com/euphonyfilms/Google:           https://bit.ly/2Hmktyt  Website:          www.euphonyXpressions.com  Pricing:            http://bit.ly/3h0ImcMFundraiser:      https://gf.me/u/yz52p7 --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2023-03-0802 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2023-03-0129 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2023-01-3021 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Poetry Podcast | Farewell 2022, Welcome New Year 2023 | Pankaj Upadhayay | Euphony |Poetry Podcast | Welcome New Year | Pankaj Upadhayay | Euphony |   Today's poetry podcast is to welcome 2023 and bid farewell to 2022  The poetry was shared by respected Suman Mathur ji and she suggested I recite the poem for my poetry podcast. Thank you Suman ji and much love  Hope you like my recitation and thank you for all your love  ------------------------------------   Happy to share a beautiful Hindi poem - December Aur January Ka Rishta. Very meaningful. Just months but recreated as two individuals, two entities, two different personalities  and yet complementing each other.  कितना अजीब है ना,  *दिसंबर और जनवरी का रिश्ता?* जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा...  दोनों काफ़ी नाज़ुक है  दोनो मे गहराई है, दोनों वक़्त के राही है,  दोनों ने ठोकर खायी है...  यूँ तो दोनों का है वही चेहरा-वही रंग, उतनी ही तारीखें और  उतनी ही ठंड... पर पहचान अलग है दोनों की अलग है अंदाज़ और  अलग हैं ढंग...   एक अन्त है,  एक शुरुआत जैसे रात से सुबह, और सुबह से रात...  एक मे याद है दूसरे मे आस, एक को है तजुर्बा,  दूसरे को विश्वास...  दोनों जुड़े हुए है ऐसे धागे के दो छोर के जैसे, पर देखो दूर रहकर भी  साथ निभाते है कैसे...  जो दिसंबर छोड़ के जाता है उसे जनवरी अपनाता है, और जो जनवरी के वादे है उन्हें दिसम्बर निभाता है...  कैसे जनवरी से  दिसम्बर के सफर मे ११ महीने लग जाते है... लेकिन दिसम्बर से जनवरी बस १ पल मे पहुंच जाते है!!  जब ये दूर जाते है  तो हाल बदल देते है, और जब पास आते है  तो साल बदल देते है...  देखने मे ये साल के महज़  दो महीने ही तो लगते है, लेकिन...  सब कुछ बिखेरने और समेटने का वो कायदा भी रखते है...  दोनों ने मिलकर ही तो  बाकी महीनों को बांध रखा है, . अपनी जुदाई को  दुनिया के लिए  एक त्यौहार बना रखा है..! 😊Happy year ending 😊   -------------------------------------  Warm regards Pankaj Upadhayay ---------------------------------------------------------- (c) Pankaj Upadhayay https://www.euphonyXpressions.comAbout me: https://bit.ly/3OCwFcp============================= https://www.imdb.com/name/nm12524863/ https://filmfreeway.com/PankajUpadhayay https://www.facebook.com/pankaj.upadhayay.75 https://www.facebook.com/euphonyFilms/ https://www.instagram.com/euphonyfilms/Google - https://g.co/kgs/Xqnthf  www.euphonyXpressions.com  Indie Filmmaker & visual artist Pls review my playlist here:  Short Films: https://bit.ly/397rFrT  Music Videos 1: https://bit.ly/3fEJLnR  Music Videos 2: https://bit.ly/32sNlgZ  Ad Films/ Corp Videos: https://bit.ly/3uk6o90Tourist attractions: https://bit.ly/3992PIj  Poetry Podcasts https://bit.ly/2ZGIRlb  www.euphonyXpressions.com  Western Sydney Australia  #ShortFilms #MusicVideos #AdFilms #PoetryPodcast #Lonewalking #lockdown #Isolation #Believe #Faith #InsipirationalStories #indiefilmmaker #SydneyIndieFilms #pankajupadhayay #LargeShortFilms #BestShortFilms #FeelGoodFilms #PocketFilms #LocalFilms #SydneyFilms   You can contribute to my fundraisers here:  PayPal: paypal.me/euphony Crowd Funding: https://gf.me/u/yz52p7----------------------------------------------------------------------------- --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2022-12-2803 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-12-2343 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-12-2222 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-11-2332 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-08-2037 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-08-1702 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-06-2931 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2022-06-2418 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Poetry Podcast Tribute: legendary Lata Mangeshkar | Pankaj Upadhayay | Radio Kehte Sunte | Euphony |Poetry Podcast Tribute: legendary Lata Mangeshkar | Pankaj Upadhayay | Radio Kehte Sunte | Euphony |  लता मंगेशकर जी को शत शत नमन  पंकज उपाध्याय द्वारा  दिनांक: 08/02/2022  रेडियो कहते सुन्ते 89.3fm सिडनी के लिए  और, यूफनी फिल्म्स  कविता..  सुरीली मल मल सि रेशम सी और सुनहली  कोमल सुंदर अनोखी वो आवाज़ है या जादू  बचपन के गलियरे से अबतक दशकों तक संसार है जब तक  सुरीली मल मल सि रेशम सी और सुनहली   सरस्वती सी प्रेरणा दे ती नव दुर्गा सा बल देति मरियम सा प्यार और.. लता सी खुशियां बिखेरती  सुरीली मल मल सि रेशम सी और सुनहली  कोमल सुंदर अनोखी  वो आवाज़ है या कोई जादू  खिलखिलाती धूप सी गह रे समुंद्र के मोती सी  जैसे पारस और चंदन जैसे शीतल और रेशम  सरल सुंदर माँ सि दुर्लभ अधभूत निश्चल  सुरीली मल मल सि रेशम सी और सुनहली  कोमल सुंदर अनोखी  वो आवाज़ है या कोई जादू  - लता मंगेशकर जी पर कविता श्रद्धांजलि पंकज उपाध्याय द्वारा दिनांक: 08/02/2022 रेडियो कहते सुन्ते 89.3fm सिडनी के लिए  https://en.wikipedia.org/wiki/Lata_Ma... #LataMangeshkar #HindiPoemTribute #PankajUpadhayay---------------------- Poem tribute on Lata Mangeshkar ji By Pankaj Upadhayay Date: 08/02/2022 For Radio Kehte Sunte 89.3fm Sydney  SUREELI MALMAL SI  RESHAM SI AUR SUNHALI  KOMAL SUNDAR ANOKHI WOH AWAZ HAI YA JADU  BACHPAN KE GALIYARE SE ABTAK DASHAKON TAK SANSAR HAI JABTAK  SUREELI MALMAL SI  RESHAM SI AUR SUNHALI JADUI MAN MOHAK  SARASWATI SI PRERNA DETI NAV DURGA SA BAL DETI MARIYAM SA PYAAR  AUR.. LATA SI KHUSHIYAAN BIKHERTI  SUREELI MALMAL SI  RESHAM SI AUR SUNHALI KOMAL SUNDAR ANOKHI  WOH AWAZ HAI YA KOI JADU  KHILKHILATI DHOOP SI  GAHRE SAMUNDRA KE MOTI SI  JAISE PARAS AUR CHANDAN JAISE SHEETAL AUR RESHAM  SARAL SUNDAR MA SI DURLABH ADHBHUT NISCHAL  SUREELI MALMAL SI  RESHAM SI AUR SUNHALI  KOMAL SUNDAR ANOKHI WOH AWAZ HAI YA KOI JADU  - Poem tribute on Lata Mangeshkar ji By Pankaj Upadhayay Date: 08/02/2022 For Radio Kehte Sunte 89.3fm Sydney   Director/ DOP/ Editor Euphony Films Sydney Australia --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2022-02-1103 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-11-0304 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-09-3003 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Poetry Podcast | E19 | Radha ka Alaukik Prem | Habib | Pankaj Upadhayay |Poetry Podcast | E19 | Radha ka Alaukik Prem | Habib | Pankaj Upadhayay | Poet: Jai Krishn Chowdhry 'Habib' Narration & video: Pankaj Upadhayay Euphony Films Sydney Australia ----------------------------------------------------- राधा का अलौकिक प्रेम उस वक्त का है किस्सा ,उस वक्त की कहानी गोकुल को छोड़ने की जब कृष्ण जी ने ठानी रो रो के गोपियों ने रुकने की इल्तज़ा की श्रीकृष्ण जी ने लेकिन उनकी न एक मानी जाते हुए कहा यह एक रात आउँगा मैं दोहराऊँगा मैं आकर एक प्रेम की कहानी उस घर में आउँगा मैं पट जिसके सब खुले हों और हो दिया भी जलता इस प्रेम की कहानी दुनियाँ ने खाए पलटे,कितने ही साल बीते यह प्रेम की कहानी भी हो गयी पुरानी श्री कृष्ण जी ने लेकिन अपना ना अहद भूला गोकुल में फिर से आए एक रात नागहानी तूफ़ान चल रहा था बारिश भी हो रही थी सूनी पड़ी थी गलियाँ हर सूं था पानी पानी हर घर पे दी सदाएँ हर दर को खटखटाया किस को पड़ी थी उस पर करता जो मेहेरबानी मायूस होके आख़िर वापिस ही जा रहे थे आयी नज़र दिए की एक सिम्त नौफ़िशानी एक झोंपड़े में देखा बूढ़ी सी एक औरत हाथों से एक दिए की करती थी पासवानी सक्ता में आ गया वो देखा क़रीब से जब बुढ़िया थी उस की राधा और उस के दिल की रानी पुरनम सा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया राधा मैं आ गया हूँ सूरत नहीं पहचानी ? सुनने को देखने की ताक़त कहाँ रही थी संसार से परे थी वो प्रेम की दीवानी बेनूर आँखे अब भी राह तक रही थीं और बहरे कान सुनते थे आहटें सुहानी गो बुत बनी खड़ी थी ख़ामोश और आमद सूरत सुना रही थी एक हिज्र की कहानी चेहरे पे झुर्रियाँ थीं और बाल पक चुके थे बाक़ी कहाँ रहा था वो हुस्न वो जवानी वो ग़मनशीन राधा ज़िंदा थीं देखने को मिलने की आस ने ही दे दी थी सख़्तजानी गर्मी हो या कि सर्दी आँधी हों या कि बारिश दिए प्रेम के जलाए उसने सारी ज़िंदगानी प्रीतम की याद में ही रो रो के दिन गुज़ारे बाक़ी कहाँ रहा था आँखों का बहता पानी रो पड़े कृष्ण जी सूरत वो देखते ही थी देखने के क़ाबिल अश्कों की वो रवानी ज़िंदा रहेगी राधा इस प्रेम की बदौलत कब है “हबीब” ऐसा दुनियाँ में इश्क़ फ़ानी जय कृष्ण चौधरी “हबीब” --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2021-09-2006 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-08-1305 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Poetry Podcast | E18 | Hey Bharat Ke Ram Jago | Ashutosh Rana | Pankaj Upadhayay |ह कविता हमारे फिल्म जगत के बहुत ही विशुद्ध एवं मंझे हुए कलाकार श्रीमान आशुतोष राणा जी द्वारा एक चैनल के साछात्कार के मध्य में सुनाया गया जो सभी भारतीयों के लिए अत्यंत प्रेरणा श्रोत है एवं वीर रस से ओत प्रोत है हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ, सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ । सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में, खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर, आज तुम्हे ललकार रही, सोये सिंह जगो भारत के, माता तुम्हे पुकार रही । रण की भेरी बज रही, उठो मोह निद्रा त्यागो, पहला शीष चढाने वाले, माँ के वीर पुत्र जागो। बलिदानों के वज्रदंड पर, देशभक्त की ध्वजा जगे, और रण के कंकण पहने है, वो राष्ट्रभक्त की भुजा जगे ।। अग्नि पंथ के पंथी जागो, शीष हथेली पर धरकर, जागो रक्त के भक्त लाडले, जागो सिर के सौदागर, खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा, और रक्त बीज का रक्त चाटने, वाली जागे चामुंडा । नर मुंडो की माला वाला, जगे कपाली कैलाशी, रण की चंडी घर घर नाचे, मौत कहे प्यासी प्यासी, रावण का वध स्वयं करूँगा, कहने वाला राम जगे, और कौरव शेष न एक बचेगा, कहने वाला श्याम जगे ।। परशुराम का परशु जगे, रघुनन्दन का बाण जगे , यदुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष महान जगे, चोटी वाला चाणक्य जगे, पौरुष का पुरष महान जगे और सेल्यूकस को कसने वाला, चन्द्रगुप्त बलवान जगे । हठी हमीर जगे जिसने, झुकना कभी नहीं जाना, जगे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना, देशभक्ति का जीवित झण्डा, आजादी का दीवाना, और वह प्रताप का सिंह जगे, वो हल्दी घाटी का राणा ।। दक्खिन वाला जगे शिवाजी, खून शाहजी का ताजा, मरने की हठ ठाना करते, विकट मराठो के राजा, छत्रसाल बुंदेला जागे, पंजाबी कृपाण जगे, दो दिन जिया शेर के माफिक, वो टीपू सुल्तान जगे । कनवाहे का जगे मोर्चा, जगे झाँसी की रानी, अहमदशाह जगे लखनऊ का, जगे कुंवर सिंह बलिदानी, कलवाहे का जगे मोर्चा, पानीपत मैदान जगे, जगे भगत सिंह की फांसी, राजगुरु के प्राण जगे ।। जिसकी छोटी सी लकुटी से (बापू ), संगीने भी हार गयी, हिटलर को जीता वे फौजेे, सात समुन्दर पार गयी, मानवता का प्राण जगे, और भारत का अभिमान जगे, उस लकुटि और लंगोटी वाले, बापू का बलिदान जगे। आजादी की दुल्हन को जो, सबसे पहले चूम गया, स्वयं कफ़न की गाँठ बाँधकर, सातों भावर घूम गया, उस सुभाष की शान जगे, उस सुभाष की आन जगे, ये भारत देश महान जगे, ये भारत की संतान जगे ।। क्या कहते हो मेरे भारत से चीनी टकराएंगे ? अरे चीनी को तो हम पानी में घोल घोल पी जाएंगे, वह बर्बर था वह अशुद्ध था, हमने उनको शुद्ध किया, हमने उनको बुद्ध दिया था, उसने हमको युद्ध दिया । आज बँधा है कफ़न शीष पर, जिसको आना है आ जाओ, चाओ-माओ चीनी-मीनी, जिसमें दम हो टकराओ जिसके रण से बनता है, रण का केसरिया बाना, ओ कश्मीर हड़पने वाले, कान खोल सुनते जाना ।। रण के खेतो में जब छायेगा, अमर मृत्यु का सन्नाटा, लाशो की जब रोटी होंगी, और बारूदों का आटा, सन सन करते वीर चलेंगे, जो बामी से फन वाला, फिर चाहे रावलपिंडी वाले हो, या हो पेकिंग वाला । जो हमसे टकराएगा, वो चूर चूर हो जायेगा, इस मिटटी को छूने वाला, मिटटी में मिल जायेगा, मैं घर घर में इन्कलाब की, आग लगाने आया हूँ, हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं ।। - 2 --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2021-06-0907 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-1608 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0105 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0103 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |Poetry Podcast - E13 | Koshish Karne Walon Ki | Dwivedi |Pankaj Upadhayay|Poetry Podcast - E13 | Koshish Karne Walon Ki | Dwivedi |Pankaj Upadhayay| Koshish Karne Walon Ki कोशिश करने वालों की - सोहन लाल द्विवेदी (Sohan Lal Dwivedi)  लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।  नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है, चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है। मन का विश्वास रगों में साहस भरता है, चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है। आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।  डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है, जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है। मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में, बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में। मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।  असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो, क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो। जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम, संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम। कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।  Lyrics in Hinglish Koshish Karne Walon Ki  Lahron se darkar nauka paar nahi hoti koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti  Nanhi chinti jab dana lekar chalti hai, chadhti deewaron par, sau baar fisalti hai, manka vishwas ragon me sahas bharta hai, chadhkar girna, girkar chadhna na akharta hai | aakhir uski mehnat bekar nahi hoti, koshish karne walo ki kabhi haar nahi hoti |  Dubkiyan sindhu me gotakhor lagata hai, ja ja kar khali haath laut-kar aata hai | milte nahi sehaj hi moti gehare pani me, badhta dugna utsah isu hairani me | muthi uski khaali har baar nahi hoti, koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti |  Asaflta ek chunauti hai, ese sweekar karo, kya kami reh gayi, dekho aur sudhar karo | jab tak na safal ho, neend chain ko tyago tum, sangharsh ka maidan chod kar mat bhago tum | kuch kiye bina hi jai jai kaar nahi hoti, koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti -----  This poem is in the public domain. --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2021-01-0104 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0102 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0105 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0108 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |POETRY PODCAST |E9| SAMAR SESH HAI |DINKAR|PANKAJ UPADHAYAY|POETRY PODCAST |E9| SAMAR SESH HAI |DINKAR|PANKAJ UPADHAYAY| POETRY PODCAST | E9 | SAMAR SESH HAI | DINKAR | PANKAJ UPADHAYAY |  ~ समर शेष है ~ famous ramdhari singh dinkar poems  ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो किसने कहा, युद्ध की वेला चली गयी, शांति से बोलो? किसने कहा, और मत वेधो ह्रदय वह्रि के शर से, भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से?  कुंकुम? लेपूं किसे? सुनाऊँ किसको कोमल गान? तड़प रहा आँखों के आगे भूखा हिन्दुस्तान  फूलों के रंगीन लहर पर ओ उतरनेवाले ओ रेशमी नगर के वासी! ओ छवि के मतवाले सकल देश में हालाहल है, दिल्ली में हाला है दिल्ली में रौशनी, शेष भारत में अंधियाला है  मखमल के पर्दों के बाहर, फूलों के उस पार ज्यों का त्यों है खड़ा, आज भी मरघट-सा संसार  वह संसार जहाँ तक पहुँची अब तक नहीं किरण है जहाँ क्षितिज है शून्य, अभी तक अंबर तिमिर वरण है देख जहाँ का दृश्य आज भी अन्त:स्थल हिलता है माँ को लज्ज वसन और शिशु को न क्षीर मिलता है  पूज रहा है जहाँ चकित हो जन-जन देख अकाज सात वर्ष हो गये राह में, अटका कहाँ स्वराज?  अटका कहाँ स्वराज? बोल दिल्ली! तू क्या कहती है? तू रानी बन गयी वेदना जनता क्यों सहती है? सबके भाग्य दबा रखे हैं किसने अपने कर में? उतरी थी जो विभा, हुई बंदिनी बता किस घर में  समर शेष है, यह प्रकाश बंदीगृह से छूटेगा और नहीं तो तुझ पर पापिनी! महावज्र टूटेगा  समर शेष है, उस स्वराज को सत्य बनाना होगा जिसका है ये न्यास उसे सत्वर पहुँचाना होगा धारा के मग में अनेक जो पर्वत खडे हुए हैं गंगा का पथ रोक इन्द्र के गज जो अडे हुए हैं  कह दो उनसे झुके अगर तो जग मे यश पाएंगे अड़े रहे अगर तो ऐरावत पत्तों से बह जाऐंगे  समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो पथरीली ऊँची जमीन है? तो उसको तोडेंगे समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे  समर शेष है, चलो ज्योतियों के बरसाते तीर खण्ड-खण्ड हो गिरे विषमता की काली जंजीर  समर शेष है, अभी मनुज भक्षी हुंकार रहे हैं गांधी का पी रुधिर जवाहर पर फुंकार रहे हैं समर शेष है, अहंकार इनका हरना बाकी है वृक को दंतहीन, अहि को निर्विष करना बाकी है  समर शेष है, शपथ धर्म की लाना है वह काल विचरें अभय देश में गाँधी और जवाहर लाल  तिमिर पुत्र ये दस्यु कहीं कोई दुष्काण्ड रचें ना सावधान हो खडी देश भर में गाँधी की सेना बलि देकर भी बलि! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे मंदिर औ’ मस्जिद दोनों पर एक तार बाँधो रे  समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध ......... #PoetryPodcast #Dinkar #pankajupadhayay https://youtu.be/idAtxKeQO40 https://youtu.be/WGoFQZKodNs https://youtu.be/kDebmfhNMDU --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2021-01-0105 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0104 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2021-01-0102 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |POETRY PODCAST | E6 | DHARMRAJ | DINKAR | PANKAJ UPADHAYAY |POETRY PODCAST | E6 | DHARMRAJ | DINKAR | PANKAJ UPADHAYAY | POETRY PODCAST E6 | DHARMRAJ | DINKAR | PANKAJ UPADHAYAY |  धर्मराज , सन्यास खोजना  कायरता है मन की  है सच्चा  मनुजत्व ग्रंथियां  सुलझाना  जीवन की ।   दुर्लभ नहीं मनुज के हित ,  निज वैयक्तिक सुख पाना  किन्तु कठिन है कोटि - कोटि  मनुजों को सुखी बनाना ।   एक पंथ है , छोड़ जगत को  अपने में रम जाओ ,  खोजो  अपनी मुक्ति और  निज को ही सुखी बनाओ ।   अपर पंथ है , औरों को भी  निज - विवेक बल दे कर ,  पहुँचो  स्वर्ग - लोक  में जग से  साथ बहुत को ले कर ।  कर्मभूमि है निखिल महीतल, जब तक नर की काया, जब तक है जीवन के अणु-अणु में कर्त्तव्य समाया..  क्रिया-धर्म को छोड़ मनुज  कैसे निज सुख पायेगा ? कर्म रहेगा साथ भाग वह  जहाँ कहीं जायेगा..  धर्मराज,कर्मठ मनुष्य का  पथ सन्यास नहीं है, नर जिस पर चलता वह मिट्टी है,आकाश नहीं है..  दीपक का निर्वाण बड़ा कुछ  श्रेय नहीं जीवन का, है सद्धर्म दीप्त रख उसको हरना तिमिर भुवन का..  इस विविक्त,आहत वसुधा को  अमृत पिलाना होगा, अमित लता गुल्मो में फिर से फूल खिलाना होगा..  हरना होगा अश्रु-ताप ह्रित-बंधु अनेक नरों का, लौटाना होगा सुहास अगणित विषण्ण अधरों का..  मिट्टी का यह भर संभालो, बन कर्मठ सन्यासी; पा सकता कुछ नहीं मनुज बन केवल व्योम-प्रवासी..  ऊपर सब कुछ शून्य-शून्य है, कुछ भी नहीं गगन में, धर्मराज ! जो कुछ है,वह है मिट्टी में,जीवन में..  सम्यक विधि से प्राप्त कर नर सब कुछ पाता है, मृति-जयी के पास स्वयं ही  अम्बर भी आता है..  भोगी तुम इस भाँती मृति को  दाग नहीं लग पाए, मिट्टी में तम नहीं,वही तुममे विलीन हो जाये.  Original poetry - Ramdhari Singh Dinkar  Rendition by - Pankaj Upadhayay   #poetry #PoetryPodcast --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2021-01-0103 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2020-12-1206 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2020-12-1202 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2020-12-1203 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2020-12-1203 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |
Poetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |POETRY PODCAST E2 MEGH UNKNOWNPOETRY PODCAST E2 MEGH UNKNOWN POETRY PODCAST | MEGH |   Rendition by Pankaj Upadhayay   हम मेघ हमे जीवन प्यारा ,पर बरसा आग भी सकते है रस गीत न तुझको भाता हो ,प्रलय राग गा सकते है ।  हम उस दघीचि के बेटे हैं, संभव है तुझको याद नही जिसकी हड्डी से वज्र बना,मिलता ऐसा फौलाद कहीं ।  इस धरती पर हमने अब तक , प्यासा न किसी को लोटया यदि रण की तृष्णा लाएँ हो, तो बुझा उसे भी सकते है । हम मेघ •••••••••••••• हमसे लड़ने को काल चला, तो नभ निचोड गंगा लाएँ सागर गरजा तो बन अगस्तय ,उसके ज्वारो को पी आए। हम मेघ •••• भूचाल् हमारे पैरौ से, तूफान बंद है मुट्ठी में हम शंकर हैं प्रलयकंर हैं ताण्डव भी दिखला सकते है । हम मेघ •••••• मत समझ हमारे हिमगिरि की , कोई शीतलता हर लेगा नदियों का पानी पी लेगा भू की हरियाली हर लेगा । भीतर के ज्वालामुखीयो की, शायद तुझको पहचान नहीं हम उबल पड़े तो लावा से, टुण्ड्रा को भी दफना सकते हैं । हम मेघ हमें जीवन प्यारा ---------'--  If poetry interests you, do listen in  ..  2nd episode of my favorite childhood poems Poem - Megh Poet - Unknown  #PoetryPodcast https://youtu.be/fm9ILyk1K94 --- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/pankaj-upadhayay/message
2020-12-1201 minPoetry Podcast | Pankaj Upadhayay | Poet | Filmmaker | Euphony |2020-12-1206 min