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Sanskriti Sanskar Srivastava

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Smriti Anil2021-06-1510 minSmriti Anil
Smriti Anilरानी सारंधा-भाग९रानी सारंधा के जीवन का अंतिम क्षणरानी सारंगा का अपने पुत्र छत्रसाल को बादशाह के पास समझौते के लिए भेजना कि वह उसकी प्रजा को नुकसान न पहुंचाए और वह ओरछा छोड़कर चले जाएंगे चंपत राय रानी सारंधा छोड़कर कुछ दसकोशी दूर जाते हैं कि तभी बादशाही सेनाओं का पीछा करते-करते वहां पहुंच जाती है यह देखकर रानी सारंधा बहुत निराश होती हैं परंतु कहते हैं हर निराशा में एक आशा होती है उसे लगता है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसके राजकुमारों ने उसके मदद के लिए ओरछा की सेना भेजि हो कुछ दूर चलने के बाद शाही सेना पास आती है तो रानी सारंधा को एहसास हो जाता है कि यह सेना बादशाही है जैसे ही चंपत राय को यह पता चलता है कि बादशाही सेना उनके पास आ पहुंची है तो चंपत राय कहते हैं मुझे मृत्यु दान दे दो सारन यह बात सुन सारन बहुत दुखी होती है परंतु परिस्थिति वर्ष रानी सारंधा को अपने प्राण पति चंपत राय और अपने जीवन का बलिदान देना पड़ता है
2020-10-2108 minSmriti Anil
Smriti Anilरानी सारंधा- भाग८इस एपिसोड में यह बताया गया है की, बादशाही सेना ओरछा को चारों तरफ से घेर लेती है।तब रानी सारंधा चंपत राय से कहती है, हमें ओरछा छोड़ देना चाहिए, चंपत राय कहते हैं नहीं हम ओरछा नहीं छोड़ सकते। क्योंकि जिन वीरों ने हमारे लिए अपनी जान का बलिदान किया, उनके परिवार को मझदार में छोड़कर नहीं जाएंगे, तब रानी सारंधा कहती है अगर हम ओरछा छोड़ दें तो, हो सकता है बादशाह इन लोगों को छोड़ देगा या माफ कर देगा लेकिन चंपत राय ओरछा छोड़ने से मना कर देते हैं। फिर रानी सारंधा बोलती हैं अगर बादशाह हमसे यह वादा करें कि वह ओरछा के जन को छोड़ दें तब तो आप ओरछा छोड़ देंगे चंपत राय कहता है लेकिन यह प्रस्ताव बादशाह के पास लेकर जाएगा कौन? रानी सारंधा कहती हैं, हमारा पुत्र "छत्रसाल" हमारा प्रस्ताव बादशाह के सेनापति के पास लेकर जाएगा।
2020-10-1606 minSmriti Anil2020-10-1503 minSmriti Anil
Smriti Anilरानी सारंधा-भाग६उस दिन युद्ध जीतने के बाद रानी सारंधा बादशाह के घोड़े को अपने राज्य में ले आती है,क्योंकि यह घोड़ा चंपत राय को बहुत ही मोहित कर देता है, एक बार युवराज उस घोड़े में सवारी करते-करते आगरा तक पहुंच गए, बादशाह इसी फिराक में बैठा हुआ था और उसने अपने घोड़े को अपने कब्जे में ले लिया जब युवराज बुंदेलखंड लौट के आते हैं रानी सारंधा से अपनी आपबीती बताते हैं रानी सारंधा युवराज से कहती हैं तुम जीते ही क्यों लौट आए क्या तुझमे इतना भी बल नहीं था कि तुम उस घोड़े के लिए युद्ध कर सकते यह कहकर रानी अपने 25 सैनिकों के साथ बादशाह के महल पहुंचती है और फिर घोड़े को वापस पाने के लिए वह अपना राजपाठ सब कुछ दांव में लगाकर घोड़े को वापस ले आती है बादशाह कहता है यह सौदा आपको महंगा न पड़ा एक घोड़े के लिए आप अपना सब कुछ हार रही है रानी सारंधा ने कहा नहीं यह घोड़ा नहीं मेरी आन है और अपनी आन के लिए मैं अपनी जान भी निछावर कर सकती हूं।
2020-10-1415 minSmriti Anil2020-10-1005 minSmriti Anil2020-10-1002 minSmriti Anil2020-10-0903 minSmriti Anil
Smriti Anilरानी सारंधा-भाग२अनिरुद्ध का युद्ध से भाग कर आना,जब यह बात रानी सारंधा को पता चली कि उसका भाई युद्ध से भाग कर आया है तब उसे बहुत क्रोध आया और उसने अनिरुद्ध से कहा कि भाई तुमने अपने कुल पर दाग लगा दिया है हमारे कुल मे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, यह सुनकर अनिरुद्ध की आत्मा जाग गई और फिर वह वापस उस युद्ध में चला गया अनिरुद्ध के जाते ही शीतला और रानी सारंधा के बीच वाद विवाद होता है रानी सारंधा का शीतला को वचन देना कि यदि उसका पति कभी ऐसा करता है तो वह उसके पति के छाती पर छुरा भोंक देगी इस दिन का वाद विवाद दोनों रानियों के हृदय में घर कर जाता है और साल के भीतर ही रानी सारंगा की शादी ओरछा के राजा चंपत राय से हो जाती है और अनिरुद्ध भी मैं रोने का युद्ध विजय प्राप्त करके लौट आता है।
2020-10-0803 minSmriti Anil2020-10-0802 minSmriti Anil2020-09-3000 minSmriti Anil2020-09-2909 minSmriti Anil2020-09-2810 min